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बोल सकना
उठ सकना
दे सकना
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२५६
३ पूर्णताबोधक – और क्रियाओं के धातु के साथ चुकना क्रिया के आने से पूर्णताबोधक संयुक्त क्रिया बनती है । जैसे
चल सकना
चढ़ सकना
लिख सकना
भाषाभास्वार
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खा - चुकना
कह चुकना हो चुकना कर चुकना
मार चुकना
देख चुकना
२५७
जिन में मुख्य क्रिया सामान्यभूत काल के रूप से आती है वे दो प्रकार की हैं अर्थात नित्यतावेधक और इच्छाविधिक ॥
२५८
१ नित्यताबोधक – सामान्यभूत कालिक क्रिया के साथ लिङ्ग वचन और पुरुष के अनुसार करना क्रिया के आने से नित्यताबोधक क्रिया हो जाती है । जैसे
किया- करना
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कहा - करना आया- करना
दिया करना
देखा करना
* आया जाया करना
२५६
२ इच्छाबोधक • सामान्यभूत कालिक क्रिया से परे चाहना क्रिया के लगाने से व्यापार करने का कर्त्ता की इच्छा जानी जाती है । जैसे
बेला-चाहना
आया-चाहना
* जाया- चाहना
देखा-चाहना
२६०
इस प्रकार की संयुक्त क्रिया से कहीं २ ऐसा बोध भी है ता हे कि क्रिया का व्यापार होने पर है । जैसे वह गिरा चाहता है वह मरा चाहता है घड़ी जना चाहती है इत्यादि ॥
मारा-चाहना सीखा - चाहना
२६१
संयुक्त क्रिया जिन में आदि की क्रिया साधारण रूप से आती हे से दो प्रकार की हैं अर्थात आरम्भबोचक और अवकाशबोधक |
जाना की सामान्यभूत कालिक क्रिया का साधारण रूप गया होता है किन्तु संयुक्त क्रियाओं में गया नहीं परंतु जाया नित्य आता है |