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भाषाभास्कर
मारनेहारा वा मारनेवाला बोलनेहारा वा बोलने वाला इत्यादि ॥ फनी स्त्रीलिङ्ग हो तो हारा और वाला के अंत के आ को ई कर देते हैं। । जेसे मारनेहारी बोलनेवाली ॥ ____२६८ क्रिया के धातू से भी अक इया वा वेया प्रत्यय करने से कर्तवाचक संज्ञा हो जाती हैं। जैसे पालने से पालक पजने से पजक जड़ने से जड़िया लखने से लखिया जलने से जलवेया जीतने से जितवैया इत्यादि ॥ ।
२६६ यदि धातु का स्वर दीर्घ हो तो वैया प्रत्यय के लगाने पर उसे इस्व कर देते हैं। जैसे खाने से खवैया गाने से गवैया आदि जाना ।
२ कर्मवाचक । २०० कर्मवाचक संज्ञा उसे कहते हैं जिसके कहने से कर्मत्व समझा जाता है वह सकर्मक ही क्रिया से बनती है और उसके बनाने की यह रीति है कि सकर्मक क्रिया के साधारण रुप के चिन्ह ना को पुल्लिङ्ग में श्रा और स्त्रीलिङ्ग में ई आदेश कर देते हैं अथवा उस सूप के साथ हुआ लगा देते हैं। जैसे देखा देखी वा देखा हुआ देखी हुई किया की वा किया हुआ की हुई आदि ॥
३भाववाचक । २०१ कह आये हैं कि भाववाचक संज्ञा उसे कहते हैं जिस के कहने से पदार्थ का धर्म वा स्वभाव समझा जाय अथवा जिस से किसी व्यापार का बोध हो । व्यापार की भाववाचक संज्ञा कई प्रकार में बनाई जाती हैं। जैसे
२०२ १ बहुधा क्रिया के साधारण रूप के ना का लोप करके जो रह जाती है वही भाववाचक संज्ञा है । जैसे बोल दार पुकार समझ मान चाह लूट आदि ॥
२०३ २ कहीं कहीं साधारण रूप के ना को आव आदेश करने से भाववाचक संज्ञा है। जाती है। जैसे बिकाव मिलाव चढ़ाव आदि ॥ ____२४ ३ कहीं कहीं क्रिया के साधारण रूप के अंत्य आ का लोप करने से भाववाचक संज्ञा होती है । जेसे लेन देन खान पान आदि ॥ ___८०५ ४ कहीं २क्रिया के साधारण रूप के ना का लोप करके आई के लगाने से भाववाचक संज्ञा हे.ती है। जैसे बोआई सनाई ठगाई दिखार्द कृत्यादि ।
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