Book Title: Bhasha Bhaskar Arthat Hindi Bhasha ka Vyakaran
Author(s): Ethrington Padri
Publisher: Ethrington Padri

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Page 49
________________ माषाभास्कर ४५ कता परंतु जो संज्ञा के साथ आवे तो कौन और क्या दोनों निर्जीव और सजीव को लगते हैं। जैसे किस मनुष्य से किन लोगों में किस उपाय से ज्या ज्ञानी पुरुष हे क्या चार है क्या योद्धा है। सम्बन्धवाचक सर्वनाम । १०६ सम्बन्धवाचक सर्वनाम उसे कहते हैं जो कही हुई संज्ञा से कुछ वर्णन मिलाता है। जेसे अपने जो घोड़ा देखा था ये। मेरा है। सम्बन्धवाचक सर्वनाम जे जहां रहता है वहां सो अथवा वह शब्द भी अवश्य लिखा वा समझा जाता है इसलिये इसे सम्बन्धवाचक कहते हैं। १८० जो वा जोन कर्ता के दोनों वचन में ज्यों का त्यों बना रहता है पर और कारकों के एकवचन में जो को जिस और बहवचन में जिन वा जिन्ह आदेश हो जाता है। यथा कारक। एकवचन । बहुवचन। जो वा जिम ने जो वा जिन ने कर्म जिस को वा जिसे जिन को जिन्ही को जिन्हें करण जिस से जिन से जिन्हों से सम्प्रद न जिस को जिसे जिन को जिन्हों को जिन्हें अपादान जिस से जिन से जिन्हें। से सम्बन्ध __जिस का-के-की जिन का जिन्हें। का-के की अधिकरण जिस में जिन में जिन्हों में॥ १८१ जो शब्द का परस्पर सम्बन्धी सो वो तीन शब्द शती कारक के दोनों वचनों में जैसे का तैसा बना रहता है पर शेष कारकों के एक वचन में सो को तिस ओर बहुवचन में तिन वा तिन्ह आदेश कर देते हैं। जैसे कारक। एकवचन । बहुवचन । कतो सो वा तिस ने सो वा तिन ने कर्म तिस को तिसे तिन को तिन्हें तिन्ही को करण तिस से तिन से तिन्ही से सम्प्रदान तिस को तिसे तिन को तिन्हें तिन्ही को अपादान तिस से तिन से तिन्ही से Scanned by CamScanner

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