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माषाभास्कर
क्रिया के बनाने के विषग में।
१ धातु से। २०३ संभाष्यभविष्यत-धात हलन्त हो तो उसको श्रम से ए ए ऐ ओ एं इन स्वरों के लगाने से तीनों पुरुष की क्रिया दोनों वचन में हो जाती हैं। और जो धातु स्वरान्त हो ते। ऊ ओ को छोड़ शेष प्रत्ययों के आगे व विकल्प से लगाते हैं। जेसे हलन्त धातु बोल से बोलं बोले आदि होते हैं और स्वरान्त धातु खा से खाऊं खाये वा खावे धादि होते हैं॥
२०४ सामान्यभविष्यत-संभाव्यभविष्यत क्रिया के आगे पुल्लिङ्ग एक वचन के लिये गा बहुवचन के लिये गे और स्त्रीलि एकवचन के लिये गी बहुवचन के लिये गों तीनों पुरुष में लगा देते हैं। जेसे खाऊंगा खावेगा खावेगी आदि ॥
२०५ विधिक्रिया-विधि क्रया और संभाव्यभविष्यत क्रिया में केवल मध्यमपुरुष के एकवचन का भेद होता है। विधि में मध्यमपुरुष का एकवचन धातु ही के समान होता है। जेसे खोल खोले खोलें आदि जाना* ।
__ २ हेतुहेतुमद्धत से। २०६ सामान्यवर्तमान-हेतुहेतुमद्धत क्रिया के आगे क्रम से हूं है है हैं हो हैं वर्तमान काल के इन चिन्हों के लगाने से सामान्यवर्तमान की क्रिया बनती है। जैसे खेलता हूं खेलते हैं खाता हे खाते हो ॥
२०० अपर्णभूत-हेतुहेतुमदत क्रिया के आगे था के लगाने से अपूर्णभूत काल की क्रिया हो जाती है। जैसे खेलता था खाता था खेलते थे आदि ॥ ___ २०८ संदिग्धवर्तमान-हेतुहेतुमद्धत क्रिया के आगे लिङ्ग और वचन के अनुसार होना क्रिया का भविष्यत काल के रूप लगाने से संदिग्ध वर्तमान की क्रिया बनतो है। जेसे खोलता हाऊंगा खोलता होवेगा आदि ।
* होना देना और लेना इन तीनों की विधि क्रिया दो रूप से पाती हैं । जेसे हो और होओ दं और देऊं दो और देओ लो और लेखो चादि कोई २ बोलते और लिखते ॥
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