Book Title: Aparokshanubhuti
Author(s): Shankaracharya, Vidyaranyamuni
Publisher: Khemraj Krushnadas
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___ संस्कृतीका-भाषादीकासहिता । (९) शमइतिशब्दितः अंतःकरणनिग्रहः शमशब्दार्थः बायवृत्तीनां श्रोत्रवागादीनां निग्रहो निषिद्धप्रवृत्तितिरस्कारोद्म इति शब्देनाभिधीयते कथ्यते ॥ ६ ॥ ___ भा. टी. संसारकी वासनाओंका त्याग करना 'शम' कहावे है और बाह्य वृत्तियोंको रोक लेना अर्थात् नासिकादि इन्द्रियोंको गन्धादि विषयसे हटाकर वशमें कर लेना 'दम' कहावै है ॥ ६॥
(उपरति और तितिक्षास्वरूप) विषयेभ्यः परावृत्तिः परमोपरतिर्हि सा॥ सहनं सर्वदुःखानां तितिक्षा सा
शुभा मता॥७॥ .सं. टी. विषयेभ्यइति हीति प्रसिद्धेभ्यो बंधकेभ्यः शब्दादिभ्यो या परावृत्तिनिवृत्तिरनित्यत्वादिदोषदर्शनेन ग्रहणानिच्छा सोपरतिरुच्यत इत्यर्थः कोशी सेत्यत आह परमेति परमृत्कृष्टमात्मज्ञानं यस्याः सकाशाज्जायते सा परमा आत्मज्ञानसाधनभूतेत्यर्थः अनया सर्वकर्मसंन्यासो लक्ष्यते किंच सहनामिति सर्वदुःखानां सर्वदुःखसाधनानां शीतोष्णादिद्वंद्वानां यत्सहनं प्रतीकारानिच्छा सा शुभा सुखरूपा तितिक्षा मता विदुषामित्यर्थः ॥ ७॥
भा. टी. विषयोंसे अत्यन्त चित्तको हटालेनेका नाम

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