Book Title: Aparokshanubhuti
Author(s): Shankaracharya, Vidyaranyamuni
Publisher: Khemraj Krushnadas

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Page 37
________________ संस्कृतटीका-भाषाटीकासाहिता। (३१) 'आत्मा' है इसप्रकार व्यवहारके कारण आत्माका आकारभान होयहै परन्तु तुमसे मूखोंके दृष्टिगोचर नहीं होय है ॥ ३० ॥ अहंशब्देन विख्यात एक एव स्थितः परः। स्थूलस्त्वनेकतां प्राप्तः कथं स्यादेहकः पुमान् ॥ ३१॥ सं.टी. तदेवाह अहमित्यादिसप्तभिः। परः देहादन्य - आत्माऽहंशब्देन शब्द इत्युपलक्षणं प्रत्ययस्यापि व. ख्यातः प्रसिद्धः किंलक्षण इत्यत आह एकइति एक एव स्थित एवेति प्रत्येकमवधारणं तुशब्दः पूर्वोक्तादात्मनः स्थूलदेहस्य वैलक्षण्यद्योतकास्थूलो देहका देहएव देहकास्वार्थे का प्रत्ययः कथं घुमान् पुरुषः आत्मास्यान्न कथंचिदित्यर्थः देहस्यानात्मत्वे हेतुमाह.अनेकतामिति अनेकतां परस्परं भिन्नता प्राप्तः एवं तमप्रकाशवदति विलक्षणत्वेपि देहस्यात्मत्वं ध्रुवन्नतिमूढत्वादुपेक्ष्य इति भावः।॥३१॥ . भा. टी. अहं शब्द करकै कहाजायहै और एकहै और सबसे उत्कृष्टहै तब किसप्रकार स्थूल अनेकताको प्राप्त देहमय होसकै है ।। ३१ ॥ अहं द्रष्टतया सिद्धो देहो दृश्यतया स्थितः ॥ ममायमितिनिर्देशात्कथं स्यादहकः पुमान् ॥३२॥

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