Book Title: Aparokshanubhuti
Author(s): Shankaracharya, Vidyaranyamuni
Publisher: Khemraj Krushnadas

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Page 23
________________ ( १७ ) संस्कृत टीका - भाषाटीका सहिता । ता कुतो न दृश्यते तत्राह सूक्ष्ममिति सूक्ष्मं मनोवा गादींद्रियागोचरं तेषां प्रवृत्तिनिमित्तजातिक्रियादिशू - . न्यत्वादित्यर्थः ब्रह्मण उपादानत्वे दृष्टांतमाह यथैवेति यथैव मृत्घटादीनामुपादानं तथैवेत्यर्थः एवंप्रकारेण कार्यकारणभेदो नाममात्रमिति सूचितम् ॥ १५ ॥ भा. टी. जैसे मृत्तिका घटका उपादान कारण है और सुवर्ण कुण्डलादिका कारण है इसी प्रकार जो एक 'सूक्ष्म ' सत्यस्वरूप, अविनाशी अज्ञान 'सङ्कल्प' इनका जो उपादान कारण है सोई इस जगत्का उपदान कारण है इसका जो निरूपण है सो विचार कहावे है ॥ १५ ॥ अहमेकोपि सूक्ष्मश्च ज्ञाता साक्षी सद व्ययः ॥ तदहं नात्र सन्देहो विचारः सोऽयमीदृशः ॥ १६ ॥ सं. टी. ननु यद्यपि कार्यकारणभेदो वाचारंभणमा त्रस्तथापि जीवब्रह्मणोर्भेदोवास्तवः स्यादित्याशंक्याह अहमिति अत्र यत इत्यध्याहारस्तथाचायमर्थः यतोहमहंप्रत्यय वेद्यो प्येकः सजातीयादिभेदशून्यो मनुष्यमात्रेप्यहं बुद्धेरेकत्वप्रतीतेरित्यर्थः च पुनः सूक्ष्म इंद्रियागोचरः पुनर्ज्ञाताऽहंकारादिप्रकाशकत्वेन चेतन इत्यर्थः तथा साक्षी साक्षादिंद्रियार्थसन्निकर्षं विनैवेक्षते पश्यति प्रकाशयतीति साक्षी निर्विकार इत्यर्थः अत एव -

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