________________ 404 ग्यारहवाँ प्रश्नोत्तर : अन्धकाराच्छन्न लोक में प्रकाश करने वाले के सम्बन्ध में बारहवाँ प्रश्नोत्तर : क्षेम, शिव और अनाबाध स्थान के विषय में केशी कूमार द्वारा गौतम को अभिवन्दन एवं पंचमहाव्रतधर्म स्वीकार उपसंहार : दो महामुनियों के समागम का फल 606 चोवीसवाँ अध्ययन: प्रवचनमाता 413 413 414 अध्ययन-सार अष्ट प्रवचनमाताएँ चार कारणों से परिशुद्धि : ईममिति भाषासमिति एषणासमिति आदान-निक्षेपणममिति-विधि परिष्ठापना समिति : प्रकार और विधि ममिति का उपमहार और गुप्तियों का प्रारम्भ मनोगुप्ति : प्रकार और विधि वचनगुप्ति : प्रकार और विधि कायगुप्ति : प्रकार और विधि समिति और गुप्ति में अन्तर प्रवचनमाताओं के प्राचरण का सुफल 415 OMG पच्चीसवाँ अध्ययन : यज्ञीय 422 422 अध्ययन-सार जयघोष : ब्राह्मण से यमयायाजी महामुनि जयघोष मुनि विजयघोष के यज्ञ में यज्ञकर्ता द्वारा भिक्षादान का निषेध एवं मुनि की प्रतिक्रिया जयघोष मुनि द्वारा विमोक्षणार्थ उत्तर विजयघोष ब्राह्मण द्वारा जयघोष मुनि से प्रतिप्रश्न जयघोष मुनि द्वारा समाधान सच्चे ब्राह्मण के लक्षण मीमांसकमान्य वेद और यज प्रात्मरक्षक नहीं श्रमण-ब्राहाणादि किन गुणों से होते हैं, किनसे नहीं विजयघोष द्वारा कृतज्ञताप्रकाशन एवं गुणगान जयघोष मूनि द्वारा वैराग्यमय उपदेश विरक्ति, दीक्षा और मिद्धि 824 425 425 427 429 [104] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org