________________ छत्तीसयां अध्ययन : जीवाजीवविभक्ति [665 160. सागरोवममेगं तु उक्कोसेण वियाहिया। पढमाए जहन्नणं दसवाससहस्सिया // [160] पहली रत्नप्रभा पृथ्वी में नरयिक जीवों की आयुस्थिति जघन्य दस हजार वर्ष को और उत्कृष्ट एक सागरोपम को है / 161. तिणेव सागरा ऊ उक्कोसेण वियाहिया / दोच्चाए जहन्नणं एगं तु सागरोवमं // [161] दूसरी पृथ्वी में नैरयिक जीवों की प्रायु-स्थिति जघन्य एक सागरोपम को और उत्कृष्ट तीन सागरोपम की है / / 162. सत्तेव सागरा ऊ उक्कोसेण वियाहिया। तइयाए जहन्नणं तिण्णेव उ सागरोवमा // _ [162] तीसरी पृथ्वी में नैरयिक जीवों की आयु-स्थिति जघन्य तीन सागरोपम की और उत्कृष्ट सात सागरोपम की है। 163. दस सागरोवमा ऊ उक्कोसेण विवाहिया। __चउत्थीए जहन्नणं सत्तेव उ सागरोवमा / [163] चौथी पृथ्वी में नैरयिक जीवों की आयु-स्थिति जघन्य सात सागरोपम की और उत्कृष्ट दस सागरोपम की है। 164. सत्तरस सागरा ऊ उक्कोसेण वियाहिया / पंचमाए जहन्नणं दस चेव उ सागरोवमा / / [164] पांचवीं पृथ्वी में नैरयिकों की आयु-स्थिति जघन्य दस सागरोपम की और उत्कृष्ट सत्तरह सागरोपम की है। 165. बावीस सागरा ऊ उक्कोसेण वियाहिया। छट्ठोए जहन्नणं सत्तरस सागरोवमा / [165] छठी पृथ्वी में नैरयिक जीवों को प्रायु-स्थिति जघन्य सतरह सागरोपम को और उत्कृष्ट बाईस सागरोषम की है। 166. तेत्तीस सागरा ऊ उक्कोसेण वियाहिया। सत्तमाए जहन्नणं बावीसं सागरोवमा // [166] सातवीं पृथ्वी में नैरयिक जीवों को प्रायु-स्थिति जघन्य बाईस सागरोपम की और उत्कृष्ट तेतीस सागरोपम की है। 167. जा चेव उ आउठिई नेरइयाणं वियाहिया। सा तेसि कायठिई जहन्नुक्कोसिया भवे / / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org