Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ 724] [उत्तराध्ययनसूत्र w 27 w 36 242 36 232 224 238 w 221 Yrm 32 0 152 142 0 सागरा इक्कतीसं सागरा इक्कवीसं सागराणि य सत्तेव सागरा सत्तवीस सागरा साहिया सागरोवममेगं तु सा पव्वइया सामाइयत्थ पढम सामायारि पवक्खामि सामिसं कुललं दिस्स सारीरमाणसा चेव सारीरमाणसे सासणे विगयमोहाणं साहारण सरीरा उ साहियं सागरं एक्कं साहिया सागरा सत्त साहु गोयम ! पन्ना ते w w w w w mar Marorm w w w 46 सव्वे ते विइया भञ्झं सव्वेसि चेव कम्माणं सवेहि भूएहि दयाणुकंपी सव्वोसहीहि ण्हविग्रो ससरक्खपाए संखंककंदसंकासा संखंककुंदसंकासा संखिज्जकालमुक्कोसं संखिज्जकालमुक्कोसं सखेज्जकालमुक्कोसं संजो अहमस्सीति संजो चइउं रज्जं संजो नाम नामेण संजोगा विप्पमुक्कस्स संजोगा संठाणपरिणया जे उ संठाणो भवे वट्ट " " तंसे " य चउरंसे संथारं फलगं पीठ संपज्जलिया घोरा संबुद्धो सो तहिं भयवं संमुच्छिमाण संरभ-समारंभे 33 16 80 52 22 216 225 w m 23 23 34 39 mr marr M M M M 56 166 M ) M M 74 M M w 9 0 21 24 23 24 25 36 116 26 साहुस्स दरिसणे तस्स 68 सिज्जा दढा पाउरणंमि अत्थि 36 48 18 सिद्धाणं नमो किच्चा 4 सिद्धाइगुणजोगेसु 18 40 सिद्धाणणंतभागो 36 240 सीया उण्हा य निद्धा य 36 232 सीप्रोसिणा दंसमसा य फासा 36 239 सीसेण एयं संवगवाए य संसयं खलु सो कुणइ संसारत्था उ जे जोवा संसारत्था य सिद्धा य संसारमावन्न परस्स अट्टा सागरतं जहित्ताणं सागरा अउणतीसं सागरा इक्कवीसं सागरा अट्ठवीसं 0 T w الله الله 21 12 18 28 الله Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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