Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ 722] [उत्तराध्ययनसूत्र 4 mM x रूवाणुरत्तस्स नरस्स रूवाणुवाएण परिग्गमि रूविणो चेव रूवे अतित्ते य परिग्गहमि रूवे विरत्तो मणुओ रूवेसु जो गिद्धिमुवेइ 32 36 32 14 38 4 3 32 वणे वहमाणस्स 28 वके वंकसमायारे 4 वंतासी पुरिसो राय ! 26 बाइया संगहिया चेव 34 वाउक्कायमइगो 24 वाएण हीरमाणमि वाडेसु य रत्थासु य वाणारसीए बहिया बायणा पुच्छणा चेव वायं विविह वासाई वारसा चेव 47 2 or 1 4U و و و लद्धण वि माणुसत्तणं ,, आरियत्तणं ,, उत्तमं सुई लया य इइ वयाललया लाभालाभे सुहे दुक्खे लेसज्झयणं लेसासू छसू लोगेगदेसे . .me.mrty 34 Moro or mum mm IYAN Wwww Nnx00 वासुदेवो لا له و ه ن ي . लोगेगदेसे بي لن लोगस्स एगदेसंमि 6 36 isorsxra 09/09 ان लोहि णीहू य थीहू य کي 06 JU& 2 M विगहा कसाय-सन्नाणं विगिच कम्मुणो हेर्ड विगिच , 173 वित्थिन्ने दूरमोगाढे 182 विजहित्तु पुन्वसंजोगं वित्त अचोइए 189 वित्तेण ताणं विभूसं परिवज्जेज्जा वियरिज्जइ खज्जइ भुज्जइ य वियाणिया दुक्खविवद्धणं धणं विरई अबंभचेरस्स 7 विरज्जमाणस्स य इंदियत्था विवायं च उदोरेइ विवित्तलयणाइ भएज्ज ताई 23 विवित्तसेज्जासणतियाणं 25 विसएहि अरज्जतो विसप्पे सम्वोधारे 26 विसं तु पीयं जह कालकूडं 3 विसालिसेहि सीलेहि 10 विसंदएहि जालेहि 14 वीसं तु सागराई 16 वेएज्ज निज्जरापेही 14 वेमाणिया उ जे देवा 10 वएसु इंदियत्थेसु वज्जरिसहसंघयणो वण्णग्रो जे भवे किण्हे वण्णमो जे भवे नीले वण्णो पीयए जो उ वण्णो लोहिए वण्णो सुक्किले वणस्सइकायमइगयो वत्तणालक्खणो कालो वरवारुणीए वरं मे अप्पा दंतो वसे गुरुकुले णिचं y 44 14 36 10 28 34 1 11 36 231 2 37 36 206 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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