Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ 718] [उत्तराध्ययनसूत्र 20 26 26 12 18 35 26 252 36 31 36 59 17 236 35 2 पढमे वए 34 पढमं पोरिसिं सज्झाय 26 पढमं पोरिमि सज्झायं 71 पढम पोरिसिं पढमे वासचउवकमि पणयालसयसहस्सा 22 पणवीस भावणासु 21 पणवीसं सागराई 89 पणीयं भत्तपाणं त पत्तेयसरीरामो 46 पन्नरसतीसइविहा 83 पभूयरयणो राया पयणुकोहमाणो य परमत्थ संथवो वा 31 परिजुण्णेहि वत्थेहि 27 परिजू रइ ते सरीरयं 16 167 निग्गंथे पावयणे निग्गंथो धिइमंतो निच्चकालऽप्पमत्तेणं निच्चं भीएण निजहिऊण पाहारं निद्दा तहेव निद्धधसपरिणामो निम्ममे निरहंकारे निम्ममो निरहंकारो निरटुगंमि विरो निरदिया नग्गरुई उ तस्म निव्वाणं ति निस्संते सियाऽमुहरी निसग्गुवएसरुई निस्संकिय निक्कंखिय नीयावित्तो अचवले नीलासोगसंकासा नीहरंति मयं नेरइय-तिरिक्खाउं नेरइया सत्तविहा नेव पल्हत्थियं नो इंदियग्गेज्झ अमुत्तभावा न रक्खसीसु नो सक्कि पमिच्छइ W morm 00.0mm 0 mAS. 26 28 16 10 (21. 22-23-24-25-26) 36 42 14 14 परिमंडलसंठाणे 33 12 परिव्ययंते अणियत्तकामे 36 156 परोसहा दुव्विसहा अणेगे 1 16 परीसहाणं पविभत्ती 15 19 परेसु घासमेसेज्जा 8 18 पलालं फासुयं तत्थ 155 पलिग्रोवममेगं तु ال 000 الله الله 220 221 191 52 201 126 36 34 36 36 الله الا الله 16 पइनवाई दुहिले पइरिक्कुवस्सयं लद्ध पक्खंदे जलियं जोई पच्चयत्थं च लोगस्स पडंति नरए पडिक्कमित्तु निस्सल्लो पडिलेहणं कुणतो पडिक्कमामि पसिणाण पडिलेहेइ पमत्ते पडिणीयं च बुद्धाणं पढमा आवस्सिया नाम पलिग्रोवमस्स भागे पलिग्रोवम 42 पलिप्रोदमाई तिण्णि 32 पल्लोयाणुल्लया चेव 25 पसिढिल-पलंब-लोला 42 पसुवंधा सव्ववेया 26 पहाय राग 18 31 पहावंतं निगिण्हामि 176 पहीणपुण्णस्स 1 17 पंकाभा धूमाभा 26 2 पंखाविहूणोव जहेव पक्खी 000 21 23 14 16 56 26 14 30 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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