Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan
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कवा, मल्ल-पेच्छाइ बा, मुट्ठिअ - पेच्छाइ वा, बेलंबग-पेच्छाइ वा, कहग-पेच्छाइ वा, पवग-पेच्छाइ वा, फ्र लासग-पेच्छाइ वा ?
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[उ. ] णो इणट्टे समट्टे, ववगय - कोउहल्ला णं ते मणुआ पण्णत्ता समणाउसो !
३१. [ प्र. १२ ] भगवन् ! क्या उस समय भरत क्षेत्र में नट-नाटक दिखाने वालों, नर्तक- नाचने
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5 वालों, जल्ल-कलाबाज- रस्सी आदि पर चढ़कर कला दिखाने वालों, मल्ल - पहलवानों,
5 मौष्टिक - मुक्केबाजों, विडंबक- विदूषकों-मसखरों, कथक - कथा कहने वालों, प्लवक - छलाँग लगाने या
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नदी आदि में तैरने का प्रदर्शन करने वालों, लासक-वीर रस की गाथाएँ या रास गाने वालों के कौतुक - तमाशे देखने हेतु लोग एकत्र होते हैं ?
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३१. [प्र.१२ ] अत्थि णं भंते ! तीसे समाए गड-पेच्छाइ वा, णट्ट-पेच्छाइ वा, जल्ल-पेच्छाइ
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[ उ. ] आयुष्मन् श्रमण गौतम ! ऐसा नहीं होता। क्योंकि उन मनुष्यों के मन में कौतूहल देखने की उत्सुकता नहीं होती।
फ प्रमाण पालखियाँ- ये सब होते हैं ?
[Ans.] Blessed Gautam ! It is not true. The human beings of that
period did not have the curiosity to watch suchlike things.
31. [Q. 12] Reverend Sir ! Is it a fact that the people at that time in 5 Bharat area were assembling together to watch theatrical performance, dances, rope-dance, wrestling bout, boxing, joke related festivities, story tellers, swimming competitions and those who recite ballads and warrelated poems ?
घोड़ों या खच्चरों द्वारा खींची जाने वाली बग्घी, शिविका - पर्देदार पालखियाँ तथा स्यन्दमानिक- पुरुष -
३१. [प्र.१३ ] अत्थि णं भंते ! तीसे समाए भरहे वासे सगडाइ वा, रहाइ वा, जाणाइ वा, 5
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जुग्गाइ वा, गिल्लीइ वा, थिल्लीइ वा, सीआइ वा, संदमाणिआइ वा ?
[ उ. ] णो इणट्टे समट्ठे, पायचार-विहारा णं ते मणुआ पण्णत्ता समणाउओ !
३१. [ प्र. १३ ] भगवन् ! क्या उस समय भरत क्षेत्र में शकट-बैलगाड़ी, रथ, यान- दूसरे वाहन फ
युग्य-दो हाथ लम्बे-चौड़े डोली जैसे यान, गिल्लि -दो पुरुषों द्वारा उठाई जाने वाली डोली, थिल्लि - दो
[ उ. ] आयुष्मन् श्रमण गौतम ! ऐसा नहीं होता, क्योंकि वे मनुष्य पादचारविहारी - पैदल चलने की प्रवृत्ति वाले होते हैं ।
卐 were always pedestrians.
[Ans.] Blessed Gautam ! It is not true because those human beings
31. [Q.13] Reverend Sir ! Is it a fact that bullock driven carts, other vehicles, palanquine like vehicles, palanquines carried by two persons, coaches driven by two horses or mules, palanquines having curtains and human-size palanquines existed at that time?
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जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
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Jambudveep Prajnapti Sutra
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