Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan
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उत्तरभाद्रपदा नक्षत्र १४ रात-दिन, रेवती नक्षत्र १५ रात-दिन तथा अश्विनी नक्षत्र एक रात-दिन परिसमाप्त करता है। (१४ + १५ + १ = ३० रात-दिन = १ मास)
उस मास में सूर्य १२ अंगुल अधिक पुरुषछायाप्रमाण अनुपर्यटन करता है। उस मास के अन्तिम दिन परिपूर्ण तीन पद पुरुषछायाप्रमाण पोरसी होती है। [प्र. ४. ] भगवन् ! वर्षाकाल के चौथे-कार्तिक मास को कितने नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं ? [उ. ] गौतम ! उसे तीन नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं-(१) अश्विनी, (२) भरणी, तथा (३) कृत्तिका।
अश्विनी नक्षत्र १४ रात-दिन, भरणी नक्षत्र १५ रात-दिन तथा कृत्तिका नक्षत्र १ रात-दिन परिसमाप्त करता है। (१४ + १५ + १ = ३० रात-दिन = १ मास) ___ उस महीने में सूर्य १६ अंगुल अधिक पुरुषछायाप्रमाण अनुपर्यटन करता है। "
उस महीने के अन्तिम दिन ४ अंगुल अधिक तीन पद पुरुषछायाप्रमाण पोरसी होती है। [प्र. ५ ] चातुर्मासिक हेमन्तकाल के प्रथम-मार्गशीर्ष मास को कितने नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं? [उ. ] गौतम ! उसे तीन नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं-(१) कृत्तिका, (२) रोहिणी, तथा (३) मृगशिर।
कृत्तिका नक्षत्र १४ अहोरात्र, रोहिणी नक्षत्र १५ अहोरात्र तथा मृगशिर नक्षत्र १ अहोरात्र परिसमाप्त करता है। (१४ + १५ + १ = ३० दिन-रात = १ मास) ___उस महीने में सूर्य २० अंगुल अधिक पुरुषछायाप्रमाण अनुपर्यटन करता है।
उस महीने के अन्तिम दिन ८ अंगुल अधिक तीन पद पुरुषछायाप्रमाण पोरसी होती है। __ [प्र. ६ ] भगवन् ! हेमन्तकाल के दूसरे-पौष मास को कितने नक्षत्र परिसमाप्त हैं ?
[उ. ] गौतम ! उसे चार नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं-(१) मृगशिर, (२) आर्द्रा, (३) पुनर्वसु, तथा : (४) पुष्य।
मृगशिर नक्षत्र १४ रात-दिन, आर्द्रा नक्षत्र ८ रात-दिन, पुनर्वसु नक्षत्र ७ रात-दिन तथा पुष्य नक्षत्र १ रात-दिन परिसमाप्त करता है। (१४ + ८ + ७ + १ = ३० रात-दिन = १ मास)
तब सूर्य २४ अंगुल अधिक पुरुषछायाप्रमाण अनुपर्यटन करता है। है उस महीने के अन्तिम दिन परिपूर्ण चार पद पुरुषछायाप्रमाण पोरसी होती है।
[प्र. ७ ] भगवन् ! हेमन्तकाल के तीसरे-माघ मास को कितने नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं? [उ. ] गौतम ! उसे तीन नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं-(१) पुष्य, (२) अश्लेषा, तथा (३) मघा।
पुष्य नक्षत्र १४ रात-दिन, अश्लेषा नक्षत्र १५ रात-दिन तथा मघा नक्षत्र १ रात-दिन परिसमाप्त करता है। (१४ + १५ + १ = ३० रात-दिन = १ मास)
तब सूर्य २० अंगुल अधिक पुरुषछायाप्रमाण अनुपर्यटन करता है। उस महीने के अन्तिम दिन आठ अंगुल अधिक तीन पद पुरुषछायाप्रमाण पोरसी होती है।
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सप्तम वक्षस्कार
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Seventh Chapter
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