Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 649
________________ फफफफफफफफ 255555 5 55 55 59555555555 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 55 5552 சு तपनीय 5 स्वर्ण-निर्मित रस्सी द्वारा विमान के साथ सुन्दर रूप में जुड़े हुए, यथेच्छ गमन करने वाले उल्लास के 5 साथ चलने वाले, मन की गति की ज्यों सत्वर गमनशील, मन को रमणीय लगने वाले, अत्यधिक तेज 卐 卐 5 द्वारा द्रुतगति से कदम रखते, अंकरत्नमय नखों वाले, तपनीय-स्वर्णमय जिह्वा तथा तालुयुक्त, 5 गतियुक्त, अपरिमित बल, वीर्य, पुरुषार्थ एवं पराक्रमयुक्त, उच्च, गम्भीर स्वर से गर्जना करते हुए, अपनी मधुर, मनोहर ध्वनि द्वारा आकाश को आपूर्ण करते हुए, दिशाओं को सुशोभित करते हुए चार हजार गजरूपधारी देव, विमान के दक्षिणी पार्श्व को परिवहन करते हैं। फ्र (घ) चन्द्र - विमान के उत्तर में श्वेतवर्णयुक्त, जन-जन को प्रिय लगने वाले, सुन्दर प्रभायुक्त, वेग एवं बल से आपूर्ण युवावस्था से युक्त, हरिमेलक तथा मल्लिका- चमेली की कलियों जैसी आँखों से युक्त, तिरक्षी चाल या तोते की चोंच की ज्यों वक्रता के साथ अपने पैर का ऊर्ध्वकरण, विलासपूर्ण गति, एक विशिष्ट गति, वायु के तुल्य अतीव चपल गतियुक्त, गर्त्त आदि का अतिक्रमण - खड्डे आदि फाँद जाना, वल्गन- - उत्कूर्दन - ऊँचा कूदना, उछलना, धावन-: - शीघ्रतापूर्वक सीधा दौड़ना, धोरण-गति सप्तम वक्षस्कार फ्र (ग) चन्द्र-विमान के पश्चिम में सफेद वर्णयुक्त, सौभाग्ययुक्त सुन्दर प्रभायुक्त, चलचपल - इधरउधर हिलते रहने के कारण अति चपल थूही से शोभित, लोहमयी गदा की ज्यों ठोस, सुगठित 5 शिथिलतारहित, प्रशस्तलक्षणयुक्त, किंचित् झुके हुए होठों वाले, टेढ़ी चाल, सविलास गति - सुन्दर, 卐 शानदार चाल, आकाश को लाँघ जाने जैसी उछाल पूर्ण चाल इत्यादि अत्यन्त चपलत्वरापूर्ण, गर्वपूर्ण 卐 फ गति से शोभित, नीचे की ओर सम्यक् रूप में झुके हुए देह के पार्श्व भागों से युक्त, देह-प्रमाण के अनुरूप पार्श्व भागयुक्त, सहजतया सुगठित पार्श्वयुक्त, परिपुष्ट, गोल, सुन्दर आकारमय कमर वाले, लटकते हुए लम्बे, उत्तम लक्षणमय, प्रमाणयुक्त रमणीय, पूँछ के सघन, धवल केशों से शोभित, परस्पर समान खुरों से युक्त, सुन्दर पूँछयुक्त, समान रूप में उत्कीर्ण किये गये से कोरे गये से, तीक्ष्ण अग्र भागमय, यथोचित मानोपेत सींगों से युक्त, अत्यन्त सूक्ष्म, सुनिष्पन्न, चिकने, मुलायम, देह के बालों की 5 शोभा से युक्त, पुष्ट, माँसल, विशाल, परिपूर्ण कन्धों से सुन्दर प्रतीयमान, नीलम की ज्यों भासमान आधी निगाह या तिरछी निगाहयुक्त नेत्रों से शोभित, यथोचित प्रमाणोपेत, विशिष्ट, प्रशस्त, रमणीय, गग्गरक नामक विशिष्ट वस्त्र से विभूषित, हिलने-डुलने से बजने जैसी ध्वनि से समवेत (गले में धारण किये ) घरघरक संज्ञक आभरण - विशेष से सुशोभित गले से युक्त, वक्षःस्थल पर तिर्यक् या तिरछे रूप में प्रस्थापित, विविध प्रकार की मणियों, रत्नों तथा स्वर्ण द्वारा निर्मित घण्टियों की कतारों से सुशोभित, उपर्युक्त घण्टियों से विशिष्टतर घण्टाओं की माला से उज्ज्वल शोभा धारण किये हुए सूर्यविकासी कमल, चन्द्रविकासी कमल तथा अखण्डित, सुरक्षित पुष्पों की मालाओं से विभूषित, वज्रमय खुरयुक्त, मणिस्वर्ण आदि द्वारा विविध प्रकार से सुसज्ज, उक्त खुरों से ऊर्ध्ववर्ती विखुरयुक्त, स्फटिकमय दाँतयुक्त, तपनीय स्वर्णमय जिह्वायुक्त, तालुयुक्त, तपनीय स्वर्ण-निर्मित रस्सी द्वारा विमान में सुयोजित, यथेच्छ फ गमनशील, प्रीति या उल्लास के साथ चलने वाले, मन की गति की ज्यों सत्वर गमन करने वाले, मन को प्रिय लगने वाले, अत्यधिक तेज गतियुक्त, उच्च, गम्भीर स्वर से गर्जना करते हुए, अपनी मधुर मनोहर ध्वनि द्वारा आकाश को आपूर्ण करते हुए, दिशाओं को सुशोभित करते हुए चार हजार 5 वृषभरूपधारी देव, विमान के पश्चिमी पार्श्व का परिवहन करते हैं। Jain Education International (581) For Private & Personal Use Only 75595959555555595959555595959555595959595555 Seventh Chapter 卐 फ्र 卐 卐 फ 5 卐 卐 卐 फ्र www.jainelibrary.org

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