Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 604
________________ 255555 5 5 5 5 55 5 5 5 5 5 555 5555 5 5 55 55 5 5 5 5 5 5555 5555 5 55 55 2 卐 फ H 卐 फ्र கமி*தமிமிமிமி*தமிழ***********************52 5 (b) Out of twenty eight constellations only twelve have connection फ्र with the moon staying always in the north of the moon. They are (1) Abhijit, (2) Shravan, (3) Dhanishtha, (4) Shatabhishak, 5 (5) Poorvabhadra, (6) Uttarabhadra, (7) Revati, (8) Ashvini. ( 9 ) Bharni, 5 (10) Poorva-phalguni, (11) Uttara - Phalguni and (12) Swati. फ्र फ्र (c) Out of twenty eight constellations, seven are such that have always connection with the moon while staying in its south, in its north and even after crossing the heavenly abodes (Vimans) of constellations. They are—(1) Kritika, (2) Rohini, (3) Punarvasu, (4) Magha, (5) Chitra, (6) Vishakha, and ( 7 ) Anuradha. 卐 (d) Out of twenty eight constellations which have connection with the moon always in the south of moon and also crossing the divine vehicles (Vimans) of constellations. They are-(1) Poorvashadha, (2) Uttarashadha. These two constellations are always in the outermost round of the moon having connection with the moon. and 5 (e) Only one constellation Jyeshtha out of the twenty eight 5 constellations has connection with the moon always crossing heavenly abodes of constellations. नक्षत्र देवता GODS OF CONSTELLATIONS १९०. [ प्र. ] एतेसि णं भंते ! अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अभिई णक्खत्ते किंदेवयाए पण्णत्ते ? [उ. ] गोयमा ! बम्हदेवया पण्णत्ते, सवणे णक्खत्ते विण्हुदेवयाए पण्णत्ते, धणिट्ठा वसुदेवया पण्णत्ता, 5 एए णं कमेणं अव्वा अणुपरिवाडी इमाओ देवयाओ- बम्हा, विण्हु, वसू, वरुणे, अय, अभिवद्धी, पूसे, आसे, जमे, अग्गी, पयावई, सोमे, रुद्दे, अदिती, वहस्सई, सप्पे, पिउ, भगे, अज्जम, सविआ, तट्ठा, वाउ, इंदग्गी, मित्तो, इंदे, निरई, आउ, विस्सा य, एवं णक्खत्ताणं एआ परिवाडी णेअव्वा जाव 5 उत्तरासाठा किंदेवया पण्णत्ता ? गोयमा ! विस्सदेवया पण्णत्ता । 卐 फ्र १९०. [ प्र. ] भगवन् ! इन अट्ठाईस नक्षत्रों में अभिजित् आदि नक्षत्रों के कौन-कौन देवता हैं ? 5 卐 [ उ. ] गौतम ! अभिजित् नक्षत्र का देवता ब्रह्मा है। श्रवण नक्षत्र का देवता विष्णु है । धनिष्ठा नक्षत्र फ 5 का देवता वसु है। पहले नक्षत्र से अट्ठावीसवें नक्षत्र तक के देवता यथाक्रम इस प्रकार हैं- (9) ब्रह्मा, (२) विष्णु, (३) वसु. (४) वरुण, (५) अज, (६) अभिवृद्धि, (७) पूषा, (८) अश्व, (९) यम, (१०) अग्नि, (११) प्रजापति, (१२) सोम, (१३) रुद्र, (१४) अदिति, (१५) बृहस्पति, (१६) सर्प, (१७) पितृ, (१८) भग, (१९) अर्यमा, (२०) सविता, (२१) त्वष्टा, (२२) वायु, (२३) इन्द्राग्नी, (२४) मित्र (२५) इन्द्र, (२६) नैर्ऋत, (२७) आप, तथा (२८) विश्वेदेव । उत्तराषाढा - अन्तिम नक्षत्र 5 जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र 5 तक यह क्रम है । अन्त में जब प्रश्न होगा - उत्तराषाढा के कौन देवता हैं तो उसका उत्तर है-गौतम ! 5 विश्वेदेवा उसके देवता हैं। 卐 卐 卐 卐 5 卐 (538) Jain Education International फफफफफफफ 5 5 卐 Jambudveep Prajnapti Sutra For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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