Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan
View full book text
________________
)))55555558
5 555555554)
5555555555555555555555555555555555551 卐 नामांकित बाण पड़ा था, वहाँ आया। आकर उस बाण को उठाया, नामांकन देखा। देखकर उसके मन में ।
ऐसा चिन्तन, विचार, मनोभाव तथा संकल्प उत्पन्न हुआ卐 'जम्बूद्वीप के अन्तर्वर्ती भरत क्षेत्र में भरत नामक चातुरन्त चक्रवर्ती राजा उत्पन्न हुआ है। अतः ।
भूत, वर्तमान एवं भविष्यवर्ती मागध तीर्थ के अधिष्ठायक देवकुमारों के लिए यह उचित है, परम्परागत फ्र व्यवहारानुरूप है कि वे राजा को उपहार भेंट करें। इसलिए मैं भी जाऊँ, राजा को उपहार भेंट करूँ।'
यों विचार कर उसने हार, मुकुट, कुण्डल, कंकण-कड़े, भुजबन्ध, वस्त्र, अन्यान्य विविध ॐ अलंकार, भरत के नाम से अंकित बाण और मागध तीर्थ का जल लिया। इन्हें लेकर वह उत्कृष्ट, त्वरित
वेगयुक्त, सिंह की गति की ज्यों प्रबल, शीघ्रतायुक्त, तीव्रतायुक्त, दिव्य देवगति से चलता हुआ जहाँ
राजा भरत था, वहाँ आया। वहाँ आकर छोटी-छोटी घंटियों से युक्त पंचरंगे उत्तम वस्त्र पहने हुए, ऊ आकाश में संस्थित होते हुए उसने अपने जुड़े हुए दोनों हाथों से मस्तक को छूकर अंजलिपूर्वक राजा
भरत को 'जय, विजय' शब्दों द्वारा उसे बधाई दी और कहा-'आपने पूर्व दिशा में मागध तीर्थ पर्यन्त के समस्त भरत क्षेत्र को भलीभाँति जीत लिया है। मैं आप द्वारा जीते हुए देश का निवासी हूँ, आपका + अनुज्ञावर्ती सेवक हूँ, आपका पूर्व दिशा का अन्तपाल-सीमा का रक्षक हूँ। अतः आप मेरे द्वारा प्रस्तुत
यह प्रीतिदान हर्षपूर्वक उपहृत भेंट स्वीकार करें।' यों कहकर उसने हार, मुकुट, कुण्डल, कटक यावत् ॐ मागध तीर्थ का जल भेंट किया।
राजा भरत ने मागध तीर्थकुमार द्वारा इस प्रकार प्रस्तुत प्रीतिदान स्वीकार किया। स्वीकार कर * मागध तीर्थकुमार देव का सत्कार किया, सम्मान किया। सत्कार सम्मान कर उसे विदा किया।
58. [2] Immediately when the god controlling Magadh Tirth saw the .. arrow falling in his abode, his anger knew no bounds. He became dreadful : and burning in anger. Three lines developed on his forehead due to the state of extreme anger. His eye-brows became lifted upwards. He said
“Who is that unfortunate person desiring death which is not liked by any one ? Who is the one destined for a painful end and who has bad signs ? Who is the one born in a bad day? Who is that unfortunate one devoid of any shame and grandeur that has taken the courage of making y an attack on my divine wealth and divine grandeur that has been procured by me due to my divine existence ? Who is the one that has thrown an arrow on my abode not feeling afraid of death ? Saying so, hey got up from his seat and came to the place where that arrow bearing the y name was lying. He, then picked up the arrow and saw the name ! inscribed on it. Thereafter, his thoughts, mental contemplations and the ideas in his brain took a turn as follows
"The Chakravarti king Bharat has taken birth in Bharat area of Jambu continent. So, it has been the appropriate tradition of the past, जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
(150)
Jambudveep Prajnapti Sutra
-1-1-1-1-नानानानागासागनानानागागागागागागागागागा)
959555555
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org