Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 568
________________ )))))555555555555558 )))))))))) १७७. [प्र. ] भगवन् ! एक चन्द्र-मण्डल का दूसरे चन्द्र-मण्डल से कितना अन्तर है-कितनी दूरी है? [उ. ] गौतम ! एक चन्द्र-मण्डल का दूसरे चन्द्र-मण्डल से ३५३० योजन तथा ६१ भागों में विभक्त एक योजन के एक भाग के सात भागों में चार भाग योजनांश परिमित अन्तर है। 177. (Q.) Reverend Sir! What is the distance between one lunar round and the very next lunar round ? ___ [Ans.] Guatam ! It is 3581 vojans plus site yojans. १७८. [प्र. ] चंद-मंडले णं भंते ! केवइ आयामविक्खंभेणं केवइ परिक्खेवेणं केवइयं बाहल्लेणं पण्णत्ते ? [उ. ] गोयमा ! छप्पण्णं एगसट्ठिभाए जोअणस्स आयाम-विक्खम्भेणं, तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं, अट्ठावीसं च एगसहिभाए जोअणस्स बाहल्लेणं। १७८. [प्र. ] भगवन् ! चन्द्र-मण्डल की लम्बाई-चौड़ाई, परिधि तथा ऊँचाई कितनी है ? [उ. ] गौतम ! चन्द्र-मण्डल की लम्बाई-चौड़ाई १६ योजन, परिधि उससे कुछ अधिक तीन गुनी तथा ऊँचाई १० योजन है। ____178. [Q.] Reverend Sir ! What is the length, breadth, perimeter and height of one lunar round ? (Ans.) Gautam ! The length and breadth is a yojans, perimeter is little more than three times of it while the height is a yojans. १७९. [प्र. १ ] जम्बुद्दीवे दीवे मन्दरस्स पव्वयस्स केवइआए अबाहाए सबभंतरए चन्द-मण्डले पण्णत्ते ? __[उ. ] गोयमा ! चोआलीसं जोअण-सहस्साइं अट्ठ य वीसे जोअण-सए अबाहाए सबभंतरे चन्द-मण्डले पण्णत्ते। [प्र. २ ] जम्बुद्दीवे दीवे मन्दरस्स पव्वयस्स केवइआए अबाहाए अब्भंतराणन्तरे चन्द-मण्डले पण्णत्ते ? __ [उ.] गोयमा ! चोआलीसं जोअण-सहस्साइं अट्ठ य छप्पणे वीसे जोअण-सए पणवीसं च एगसद्विभाए जोअणस्स एगसद्विभागं च सत्तहा छेत्ता चत्तारि चुण्णिआभाए अबाहाए अभंतराणन्तरे चन्द-मण्डले पण्णत्ते। [प्र. ३ ] जम्बुद्दीवे दीवे मन्दरस्स पव्वयस्स केवइआए अबाहाए अभंतरतच्चे मण्डले पण्णते ? [उ. ] गोयमा ! चोआलीसं जोअण-सहस्साइं अट्ठ य वाणउए जोअण-सए एगावण्णं च * एगसद्विभाए जोअणस्स एगसट्ठिभागं च सत्तहा छेत्ता एगं चुण्णिआभागं अबाहाए अभंतरतच्चे मण्डले पण्णत्ते। | जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र (502) Jambudveep Prajnapti Sutra Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684