Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan
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एवं खलु एएणं उवाएणं णिक्खममाणे चंदे तयाणन्तराओ मण्डलाओ तयाणन्तरं मण्डलं संकममाणे २ ५ छत्तीसं छत्तीसं जोअणाई पणवीसं च एगसट्टिभाए जोअणस्स एगसद्विभागं च सत्तहा छेत्ता चत्तारि आभा गमे मण्डले अबाहाए वुद्धिं अभिवद्धेमाणे २ सव्वबाहिरं मण्डलं उवसंकमित्ता चारं चर । [प्र. ४] जम्बुद्दीवे दीवे मन्दरस्स पव्वयस्स केवइआए अबाहाए सव्वबाहिरे चंद- मण्डले पण्णत्ते ? [उ. ] गोयमा ! पणयालीसं जोअण- सहस्साइं तिण्णि अ तीसे जोअण-सए अबाहाए सव्वबाहिरए 5 चंद - मण्डले पण्णत्ते ।
[प्र.५] जम्बुद्दीवे दीवे मन्दरस्स पव्वयस्स केवइआए अबाहाए बाहिराणन्तरे चंद- मण्डले पण्णत्ते ? 5 [उ. ] गोयमा ! पणयालीसं जोअण- सहस्साइं दोण्णि अ तेणउए जोअण-सए पणतीसं च एगसट्टिभाए जोअणस्स एगसट्ठिभागं च सत्तहा छेत्ता तिण्णि चुण्णिआभाए अबाहाए बाहिराणन्तरे 5 चंदमण्डले पण्णत्ते ।
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[प्र. ६ ] जम्बुद्दीवे दीवे मन्दरस्स पव्वयस्स केवइआए अबाहाए बाहिरतच्चे चंदमण्डले पण्णत्ते ? [उ.] गोयमा ! पणयालीसं जोअण- सहस्साइं दोण्णि अ सत्तावण्णे जोअण-सए णव य एगसट्टिसाए जोअणस्स एगसद्विभागं च सत्तहा छेत्ता छ चुण्णिआभाए अबाहाए बाहिरतच्चे चंदमण्डले
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5 पण्णत्ते ।
एवं खलु एएणं उवाएणं पविसमाणे चंदे तयाणन्तराओ मण्डलाओ तयाणन्तरं मण्डलं संकममाणे २ छत्तीसं २ जोअणाई पणवीसं च एगसट्ठिभाए जोअणस्स एगसट्टिभागं च सत्तहा छेत्ता चत्तारि चुण्णिआभाए 5 er मण्डले अबाहा वुद्धिं णिव्बुद्धेमाणे २ सव्वब्भंतरं मण्डलं उवसंकमित्ता चारं चरइ ।
१७९. [ प्र. १ ] भगवन् ! जम्बूद्वीप में मेरु पर्वत से सर्वाभ्यन्तर चन्द्र - मण्डल कितनी दूरी पर स्थित है ?
[उ.] गौतम ! जम्बूद्वीप में मेरु पर्वत से सर्वाभ्यन्तर चन्द्र मण्डल ४४,८२० योजन की दूरी पर स्थित है।
[प्र. २ ] भगवन् ! जम्बूद्वीप में मेरु पर्वत से दूसरा आभ्यन्तर चन्द्र-मण्डल कितनी दूरी पर है ? [उ. ] गौतम ! जम्बूद्वीप में मेरु पर्वत से दूसरा आभ्यन्तर चन्द्र मण्डल ४४,८५६६ योजन तथा ६१ भागों में विभक्त एक योजन के एक भाग के ७ भागों में से ४ भाग योजनांश की दूरी पर है।
[प्र. ३ ] भगवन् ! जम्बूद्वीप में मेरु पर्वत से तीसरा आभ्यन्तर चन्द्र - मण्डल कितनी दूरी पर है ? [उ.] गौतम ! जम्बूद्वीप में मेरु पर्वत से तीसरा आभ्यन्तर चन्द्र - मण्डल ४४,८९२६१ योजन तथा ६१ भागों में विभक्त एक योजन के एक भाग के ७ भागों में से १ भाग योजनांश की दूरी पर है।
इस क्रम से निष्क्रमण करता हुआ चन्द्र पूर्व मण्डल से उत्तर मण्डल का संक्रमण करता हुआ एक - एक मण्डल पर ३६६ योजन तथा ६१ भागों में विभक्त एक योजन के ७ भागों में से ४ भाग योजनांश की अभिवृद्धि करता हुआ सर्वबाह्य मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है ।
Seventh Chapter
सप्तम वक्षस्कार
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