Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 572
________________ B)) )))))) )))) )))))) )))) ))))) म [प्र. २ ] अन्भन्तराणंतरे सा चेव पुच्छा ? [उ. ] गोयमा ! णवणउई जोअणसहस्साई सत्त य बारसुत्तरे जोअणसए एगावणं च एगसट्ठिभागे 卐 जोअणस्स एगसट्ठिभागं च सत्तहा छेत्ता एगं चुण्णिआभागं आयामविक्खंभेणं, तिणि अ जोअणसयसहस्साइं पन्नरसहस्साइं तिण्णि अ एगूणवीसे जोअणसए किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं। [प्र. ३ ] अन्भन्तरतच्चे णं (चन्दमण्डले केवइअं आयामविक्खंभेणं केवइअं परिक्खेवणं) पण्णत्ते। [उ. ] गोयमा ! णवणउइं जोअणसहस्साई सत्त य पञ्चासीए जोअणसए इगतालीसं च एगसविभाए जोअणस्स एगसद्विभागं च सत्तहा छेत्ता दोण्णि अ चुण्णिआभाए आयामविक्खंभेणं, तिण्णि अ जोअणसयसहस्साई पण्णरस जोअणसहस्साइं पंच य इगुणापण्णे जोअणसए किंचिविसेसाहिए, परिक्खेवेणंति। एवं खलु एएणं उवाएणं णिक्खममाणे चंदे (तयाणन्तराओ मंडलाओ तयाणंतरं मंडलं) संकममाणे २ बावत्तरि २ जोअणाई एगावणं च एगसद्विभाए जोअणस्स एगसद्विभागं च सत्तहा छेत्ता एगं च चुण्णिआभागं एगमेगे मंडले विक्खंभवुद्धिं अभिवढेमाणे २ दो दो तीसाइं जोअणसयाई परिरयवुद्धिं अभिवढेमाणे २ सब्बबाहिरं मण्डलं उवसंकमित्ता चारं चरइ। [प्र. ४ ] सव्वबाहिरए णं भंते ! चन्दमण्डले केवइअं आयामविक्खंभेणं, केवइ परिक्खेवेणं पण्णत्ते? [उ.] गोयमा ! एगं जोअणसयसहस्सं छच्च सटे जोअणसए आयामविक्खंभेणं, तिण्णि अ जोअणसयसहस्साइं अट्ठारस सहस्साइं तिण्णि अ पण्णरसुत्तरे जोअणसए परिक्खेवेणं। [प्र. ५ ] बाहिराणन्तरे णं पुच्छा ? [उ. ] गोयमा ! एग जोअणसयसहस्सं पञ्च सत्तासीए जोअणसए णव य एगसट्ठिभाए जोअणस्स एगसद्विभागं च सत्तहा छेत्ता छ चुण्णिआभाए आयामविक्खंभेणं, तिण्णि अ जोअणसयसहस्साइं अट्ठारस सहस्साई पंचासीइं च जोअणाइं परिक्खेवेणं। [प्र. ६] बाहिरतच्चे णं भंते ! चन्दमण्डले केवइअं आयामविक्खंभेणं, केवइ परिक्खेवेणं पण्णत्ते ? [उ. ] गोयमा ! एगं जोअणसयसहस्सं पंच य चउदसुत्तरे जोअणसए एगूणवीसं च एगसद्विभाए # जोअणस्स एगसट्ठिभागं च सत्तहा छेत्ता पंच चुण्णिाभाए आयामविक्खंभेणं, तिणि अ जोअणसयसहस्साई सत्तरस सहस्साई अट्ट य पणपण्णे जोअणसए परिक्खेवेणं। ___ एवं खलु एएणं उवाएणं पविसमाणे चन्दे जाव संकममाणे २ बावत्तरि २ जोअणाई एगावण्णं च एगसट्ठिभाए जोअणस्स एगसट्ठिभागं च सत्तहा छेत्ता एगं चुण्णिआभागं एगमेगे मण्डले विक्खंभवुद्धिं ॐ णिबुद्धेमाणे २ दो दो तीसाइं जोअणसयाई परिरयवुद्धिं णिवुद्धेमाणे २ सबभंतरं मण्डलं उवसंकमित्ता 卐 चारं चरइ। 555 55 555 55 5 5555 $ $$ $$ $$$$$$$$$听听听听听听听听听听听听听听听听听听 | जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र (506) Jambudveep Prajnapti Sutra B)))))) )))))55555555555555558 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684