Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan
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अंगठी विहीन ऊँगली को देखा।
भरत विचारमग्न हुए।
चिन्तन आत्मोन्मुख बना। अपने | आभूषण, अलंकार उतार दिये।
आभषण
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पंचमुष्टि लोच कर कि
देवता द्वारा प्रदत्त मुनि वस्त्र, रजीहरण आदि धारण किया।
चिन्तन में लीन भारत ने मात्र अन्र्तमुहूर्त में चार घाती कर्मी का नाश कर कैवल्य की
दिव्या ज्योति आलोकित की।
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शीश गृह से निकलकर, उपवन की और चले। रानियाँ, मंत्री पुरोहित आदि केवली मुनि भरत को हाथ जोड़े वन्दना करते हुए।
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