Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan
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ॐ सूर्य-मण्डल का आयाम-विस्तार आदि EXTENT OF SUN'S ORBIT
१६५. [प्र. १ ] जंबुद्दीवे दीवे सबभंतरे णं भंते ! सूरमंडले केवइ आयामविक्खंभेणं केवइअं म परिक्खेवेणं पण्णत्ते ?
[उ. ] गोयमा ! णवणउइं जोअणसहस्साइं छच्च चत्ताले जोअणसए आयामविक्खंभेणं तिण्णि य जोअणसयसहस्साइं पण्णरस य जोअणसहस्साइं एगूणणउइं च जोअणाई किंचिविसेसाहिआइं परिक्खेवेणं।
[प्र. २] अभंतराणंतरे णं भंते ! सूरमंडले केवइअं आयामविक्खंभेणं केवइ परिक्खेवेणं
पण्णत्ते ?
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[उ. ] गोयमा ! णवणउइं जोअणसहस्साई छच्च पणयाले जोअणसए पणतीसं च एगसट्ठिभाए ॐ जोअणस्स आयामविक्खंभेणं तिण्णि जोअणसयसहस्साइं पण्णरस य जोअणसहस्साई एगं सत्तुत्तरं
जोअणसयं परिक्खेवेणं पण्णत्ते। ___[प्र. ३ ] अब्भंतरतच्चे णं भंते ! सूरमंडले केवइअं आयामविखंभेणं केवइअंपरिक्खेवेणं पण्णत्ते ? ज [उ. ] गोयमा ! णवणउइं जोअणसहस्साई छच्च एकावण्णे जोअणसए णव य एगसद्विभाए जोअणस्स + आयामविक्खंभेणं तिण्णि अ जोअणसयसहस्साई पण्णरस जोअणसहस्साई एगं च पणवीसं जोअणसयं + परिक्खेवेणं।
एवं खलु एतेणं उवाएणं णिक्खममाणे सूरिए तयाणंतराओ मंडलाओ तयाणंतरं मंडलं उवसंकममाणे +२ पंच २ जोअणाइं पणतीसं च एगसद्विभाए जोअणस्स एगमेगे मंडले विक्खंभवुद्धिं अभिवर्तमाणे २ अट्ठारस २ जोअणाई परिरयबुद्धिं अभिवढेमाणे २ सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ।
[प्र. ४ ] सव्वबाहिरए णं भंते ! सूरमंडले केवइ आयामविक्खंभेणं केवइ परिक्खेवेणं पण्णत्ते ?
[उ.] गोयमा ! एगं जोयणसयसहस्सं छच्च सटे जोअणसए आयामविक्खंभेणं तिण्णि अ जोअणसयसहस्साइं अट्ठारस य सहस्साई तिण्णि अ पण्णरसुत्तरे जोअणसए परिक्खेवेणं। ___ [प्र. ५ ] बाहिराणंतरे णं भंते ! सूरमंडले केवइअं आयामविक्खंभेणं केवइ परिक्खेवेणं पण्णते ? के [उ. ] गोयमा ! एगं जोअणसयसहस्सं छच्च चउपण्णे जोअणसए छब्बीसं च एगसट्ठिभागे जोअणस्स ॐ आयामविक्खंभेणं तिण्णि अ जोअणसयसहस्साइं अट्ठारस य सहस्साइं दोण्णि य सत्ताणउए जोअणसए परिक्खेवेणंति।
[प्र. ६ ] बाहिरतच्चे णं भंते ! सूरमंडले केवइअं आयामविक्खंभेणं केवइ परिक्खेवेणं पण्णत्ते ? । म [उ. ] गोयमा ! एगं जोअणसयसहस्सं छच्च अडयाले जोअणसए बावणं च एगसट्ठिभाए जोअणस्स + आयामविक्खंभेणं तिण्णि जोअणसयसहस्साइं अट्ठारस य सहस्साई दोणि अ अउणासीए जोअणसए ॐ परिक्खेवेणं।
| जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
(474)
Jambudveep Prajnapti Sutra
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