Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 558
________________ 卐55555555555555555555555554555555555555555545553 [Ans. ] Gautam ! Its length is 78,3334yojan. [Q. 9] Reverend Sir ! When the sun after covering all the outer rounds, moves further what is the shape of the zone of its heat ? (Ans.] Gautam ! Its shape is like that of a Kadamb flower facing upwards. The remaining description is the same as earlier mentioned. The only difference is that the length of area of darkness mentioned in the earlier case is the length of the area of heat in the present case. 5. Similarly whatever is mentioned in respect of innermost circle about the $i zone of heat may be understood here in the present case in respect of darkness. सूर्य-परिदर्शन DESCRIPTION ABOUT SUN १६९. [प्र. १] जम्बुद्दीवे णं भंते ! दीवे सूरिआ उग्गमणमुहत्तंसि दूरे अ मूले अ दीसंति, ॐ मझंतिअमुहुत्तंसि मूले अ दूरे अ दीसंति, अत्थमणमुहुत्तंसि दूरे अ मूले अ दीसंति ? + [उ. ] हंता गोयमा ! तं चेव (मूले अ दूरे अ दीसंति)। म [प्र. २ ] जम्बूद्दीवे णं भंते ! सूरिआ उग्गमणमुहुत्तंसि अ ममंतिअ-मुहुत्तंसि अ अत्थमणमुहत्तंसि ऊ अ सब्वत्थ समा उच्चतेणं? [उ.] हंता तं चेव (सव्वत्थ समा) उच्चतेणं। म [प्र. ३ ] जइ णं भंते ! जम्बुद्दीवे दीवे सूरिआ उग्गमणमुहत्तंसि अ मझंतिअ-मुहत्तंसि अ , अत्थमणमुहुत्तंसि अ सव्वत्थ समा उच्चतेणं, कम्हा णं भंते ! जम्बुद्दीवे दीवे सूरिआ उग्गमणमुहुत्तंसि दूरे अ म मूले अ दीसंति, मज्झंतिअ-मुहुत्तंसि मूले अदूरे अ दीसंति, अत्थमणमुहुत्तंसि दूरे अ मूले अ दीसंति ? । ॐ [उ. ] गोयमा ! लेसा-पडिधाएणं उग्गमणमुहुत्तंसि दूरे अ मूले अदीसंति इति। लेसाहितावेणं ममंतिअ-मुहत्तंसि मूले अ दूरे अ दीसंति। लेसा-पडिघाएणं अत्थमणमुहत्तंसि दूरे अ मूले अ दीसंति। एवं खलु गोयमा ! तं चेव (दूरे अमूले ॐ अ) दीसंति। की १६९. [प्र. १ ] भगवन् ! क्या जम्बूद्वीप में सूर्य (दो) उद्गमन मुहूर्त में-उदयकाल में स्थानापेक्षया ॐ दूर होते हुए भी द्रष्टा की प्रतीति की अपेक्षा से मूल-आसन्न या समीप दिखाई देते हैं ? मध्याह्नकाल में फ़ स्थानापेक्षया समीप होते हुए भी क्या वे दूर दिखाई देते हैं ? अत्तमनवेला में-अस्त होने के समय क्या वे दूर होते हुए भी निकट दिखाई देते हैं ? [उ. ] हाँ, गौतम ! वे वैसे ही (निकट एवं दूर) दिखाई देते हैं। [प्र. २ ] भगवन् ! जम्बूद्वीप में सूर्य उदयकाल, मध्याह्नकाल तथा अस्तमनकाल में क्या सर्वत्र एक ऊ सरीखी ऊँचाई लिए होते हैं ? | जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र (492) Jambudveep Prajnapti Sutra 8555 555 )))) ))))))))) )) ) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684