Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 360
________________ 055555555555555555555555555555) [ चित्र परिचय ४ । महाविदेह क्षेत्र जम्बूद्वीप के ठीक मध्य भाग में एक लाख योजन ऊँचा मेरु पर्वत (मन्दर पर्वत) है। इसके उत्तर में नीलवंत 卐 पर्वत तथा दक्षिण में निषध पर्वत है। इन दोनों पर्वतों की सीमा में बँधा पल्यंकाकार एक मनुष्य क्षेत्र है, जिसका नाम म है महाविदेह। इसके पूर्व और पश्चिम दिशा में लवण समुद्र है। यह भरत क्षेत्र से 64 गुना बड़ा है। मेरु पर्वत के कारण इस क्षेत्र के पूर्व-पश्चिम दो विभाग हो गये। मेरु पर्वत से दक्षिण में देव-कुरु और उत्तर । में उत्तर-कुरु क्षेत्र है। तिगिच्छ द्रह से निकलकर देव कुरु के बीच बहती हुई सीतोदा नदी भद्रशाल वन में होकर 卐 पश्चिम महाविदेह के बीच में बहती हुई लवण समुद्र में मिलती है। इस कारण महाविदेह क्षेत्र दक्षिण-उत्तर दो भागों ! 卐 में विभक्त हो गया। केसरी द्रह से निकली सीता नदी पूर्व महाविदेह के बीच में बहकर लवण समुद्र में मिलती है। इससे इसके भी। दो भाग हो गये। इस प्रकार ८४ ४ = ३२ विजय हो जाती है। उनकी ३२ राजधानियाँ हैं। इनके बीच वैताढ्य पर्वत । 卐 आने से प्रत्येक विजय उत्तर-दक्षिण दो भागों में विभक्त हो गई है। उत्तर-कुरु-मेरु पर्वत के उत्तर में हाथी के दाँत के आकार के दो विशाल पर्वत हैं, जिन्हें 'गजदंता पर्वत' कहा जाता है। इनके बीच का क्षेत्र उत्तर-कुरु है। यहाँ पर एक जम्बू नामक महावृक्ष है जिसके कारण इस द्वीप का नाम जम्बूद्वीप प्रसिद्ध हुआ। इसमें दो पर्वत हैं। पाँच द्रह हैं। देव-करु-मेरु पर्वत के दक्षिण में भी इसी प्रकार के दो गजदंता पर्वत हैं। इनके नाम विद्युतप्रभ और सोमनस हैं। जिनके बीच का क्षेत्र देव-कुरु है। यहाँ जम्बू वृक्ष जैसा ही कूट शाल्मली महावृक्ष है। इसमें दो पर्वत एवं उनके पाँच महाद्रह है। -वक्षस्कार ४, सूत्र १०२-१३१ ॥ प्रहहा One hundred thousand Yojan high Meru Mountain (Mandar mountain) is located at the fi exact center of Jambudveep. To its north is Neelavant mountain and to its south is Nishadh mountain. In the area within these two mountains lies a bed shaped area inhabited by human beings. It is called Mahavideh. To its east as well as west is Lavan Samudra. It is 64 times larger than Bharat Area. Meru mountain divides this area into two, eastern part and western part. To the south of Meru lies Devakuru and to its north Uttarakuru. Emanating from Tiginchh lake, Sitoda river flows through Devakuru, Bhadrasala forest and western Mahavideh to fall in Lavan Samudra. This divides Mahavideh area into southern and northern halves. Emanating from Kesari lake, Sita river flows through eastern Mahavideh to fall in Lavan 45 Samudra. Thus dividing it into two parts. All these divisions make 32 (8 x 4) Vijayas (re卐 gions) in Mahavideh area. These regions have 32 capital cities.As Vaitadhya mountain is in ' 4 the middle of all these sections, each Vijaya is divided into two parts. Uttarakuru – To the north of Meru there are two tusk shaped huge mountains. They i are called Gajadanta mountains. The area in between these two is Uttarakuru. There is a gigantic tree called Jambu in this area. Jambu continent derives its name from this tree. This area has two mountains called Yamak and Samak as well as five lakes (draha). Devakuru - In the same way there are two tusk shaped mountains to the south of Meru. They are called Vidyutprabh and Somanas. The area in between these is Devakuru. Like Jambu, there is a giant tree called Koot-shalmali in this area. It has two mountains called Chitrakoot and Vichitrakoot as well as five lakes. - Vakshaskar-4, Sutra-102-131 05555555555555555555555555555555550 555555555555555555555559 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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