Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 409
________________ கமித்ததமிமிமிமிமிமி*********************தமிழ************* 卐 फ्र of a yojan wide. This forest is surrounded by a lotus Vedika and a forest where gods and goddesses take rest and enjoy themselves. With this the description of Vijays and of the northern side concludes. The capitals of these Vijays are as under: (1) Kshema, (2) Kshemapura, ( 3 ) Arishta, ( 4 ) Arishtapura, ( 5 ) Khadgi, (6) Manjusha, (7) Aushadhi and (8) Pundarikini. In the above said sixteen Vijay, there are sixteen rows of towns of Vidyadhars and sixteen Vimans of Abhiyogik celestial beings. These Abhiyogik towns are of Ishanendra. The description of all the Vijays is like that of Kutch Vijay. The king emperors (Chakravartis) of the Vijays are of the same name as that of Vijay concerned. There are sixteen Vakshashkar mountains in the Vijays. Their description is similar to that of Chitrakoot. Every Vakshashkar mountain has four peaks and there are twelve rivers in them. There description is similar to that of Grahavati river. It is surrounded by two lotus Vedikas and two forests from the two sides. There description is the same as already mentioned earlier. दक्षिणी शीतामुख वन SOUTHERN SITAMUKH FOREST १२३. [प्र. ] कहि णं भन्ते ! जम्बुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे सीआए महाणईए दाहिणिल्ले सीयामहवणे णामं वणे पण्णत्ते ? [उ. ] एवं जह चेव उत्तरिल्लं सीआमुहवणं तह चेव दाहिणं पि भाणिअव्वं, णवरं णिसहस्स वासहरपव्वयस्स उत्तरेणं, सीआए महाणईए दाहिणेणं, पुरत्थिमलवणसमुद्दस्स पच्चत्थिमेणं, वच्छस्स विजयस्स पुरत्थमेणं एत्थ णं जम्बुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे सीआए महाणईए दाहिणिल्ले सीआमुहवणे णामं वणे पण्णत्ते । उत्तरदाहिणायए तहेव सव्वं णवरं णिसहवासहरपव्वयंतेणं एगमेगूणवीसइभागं जो अणस्स विक्खम्भेणं, किण्हे किण्णोभासे जाव महया गन्धद्धाणिं मुअंते जाव आसयंति, उभओ पासिं दोहिं पउमवरवेइआहिं वणवण्णओ । १२३. [ प्र. ] भगवन् ! जम्बू द्वीप के अन्तर्गत महाविदेह क्षेत्र में सीता महानदी के दक्षिण में सीतामुख वन नामक वन कहाँ पर अवस्थित है ? Jain Education International (347) फफफफफफफफफफफफफफफफ For Private & Personal Use Only 卐 फ्र 卐 卐 5 [उ.] गौतम ! जैसा सीता महानदी के उत्तर दिग्वर्ती शीतामुख वन का वर्णन है, वैसा ही दक्षिण दिग्वर्ती शीताख वन का वर्णन समझना चाहिए। इतना अन्तर है- दक्षिण दिग्वर्ती शीतामुख वन निषध फ वर्षधर पर्वत के उत्तर में, सीता महानदी के दक्षिण में, पूर्वी लवणसमुद्र के पश्चिम में, वत्स विजय के 5 पूर्व में जम्बू द्वीप के अन्तर्गत महाविदेह क्षेत्र में विद्यमान है। वह उत्तर-दक्षिण लम्बा है और सब उत्तरदिग्वर्ती शीताख वन की ज्यों है । इतना अन्तर और है- वह घटते घटते निषध वर्षधर पर्वत के 5 चतुर्थ वक्षस्कार 卐 卐 Fourth Chapter 卐 卐 卐 卐 卐 www.jainelibrary.org

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