Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 398
________________ B ) ))) )))))) ))))) )) )))) ))) ॐ १११. [प्र. ] भगवन् ! जम्बू द्वीप के अन्तर्गत महाविदेह क्षेत्र में चित्रकूट नामक वक्षस्कार पर्वत ॥ म कहाँ पर स्थित है ? [उ. ] गौतम ! शीता महानदी के उत्तर में, नीलवान् वर्षधर पर्वत के दक्षिण में, कच्छ विजय के फ़ पूर्व में तथा सुकच्छ विजय के पश्चिम में जम्बू द्वीप के अन्तर्गत महाविदेह क्षेत्र में चित्रकूट नामक वक्षस्कार पर्वत है। वह उत्तर-दक्षिण लम्बा तथा पूर्व-पश्चिम चौड़ा है। वह १६,५९२२ योजन लम्बा ॐ है, ५०० योजन चौड़ा है, नीलवान् वर्षधर पर्वत के पास ४०० योजन ऊँचा है तथा ४०० कोस जमीन म में गहरा है। तत्पश्चात् वह ऊँचाई एवं गहराई में क्रमशः बढ़ता जाता है। शीता महानदी के पास वह ५०० योजन ऊँचा तथा ५०० कोस जमीन में गहरा हो जाता है। उसका आकार घोड़े के कन्धे जैसा है। वह सर्वरत्नमय है, निर्मल, सुकोमल तथा सुन्दर है। वह अपने दोनों ओर दो पद्मवरवेदिकाओं से तथा दो वनखण्डों से घिरा है। दोनों का वर्णन पूर्वानुरूप है। चित्रकूट वक्षस्कार पर्वत के ऊपर बहुत समतल एवं है सुन्दर भूमिभाग है। वहाँ देव-देवियाँ आश्रय लेते हैं, विश्राम करते हैं। [प्र. ] भगवन् ! चित्रकूट वक्षस्कार पर्वत के कितने कूट हैं ? [उ. ] गौतम ! उसके चार कूट हैं-(१) सिद्धायतन कूट (चित्रकूट के दक्षिण में), (२) चित्रकूट 卐 (सिद्धायतन कूट के उत्तर में), (३) कच्छ कूट (चित्रकूट के उत्तर में), तथा (४) सुकच्छ कूट (कच्छ कूट के दक्षिण में)। ये परस्पर उत्तर-दक्षिण में एक समान हैं। पहला सिद्धायतन कूट शीता महानदी के ॐ उत्तर में तथा चौथा सुकच्छ कूट नीलवान् वर्षधर पर्वत के दक्षिण में है। चित्रकूट नामक परम ॐ ऋद्धिशाली देव वहाँ निवास करता है। राजधानी पर्यन्त सारा वर्णन पूर्ववत् है। 5 111. (Q.) Reverend Sir ! In Mahavideh region of Jambu continent where is Chitrakoot Vakshaskar mountain located ? (A.) Gautam ! In the north of Sheeta river, in the south of Neelavan Varshadhar mountain, in the east of Kutchh Vijay and in the west of Sukutchh Vijay in Mahavideh region of Jambu continent, Chitrakoot Vakshaskar mountain is located. Its length is in north-south direction 4 and its breadth is in east-west direction. It is 16,592 and two-nineteenth yojan long and 500 yojan wide. It is 400 yojan high near Neelavan Varshadhar mountain and is 400 Kos deep in the earth. Thereafter, its height and depth gradually increase. Near Sheeta 4 river, its height is 500 yojans and its depth 500 Kos. Its shape like that of 4 the shoulder of a horse. It is completely jewelled. It is surrounded by two lotus Vedikas and two forests from two sides. The description of both of u them is the same as mentioned earlier. There is a levelled and attractive ground on Chitrakoot Vakshaskar mountain. Gods and goddesses retire y and take rest there. जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र (336) Jambudveep Prajnapti Sutra Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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