Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Part 03
Author(s): Abhaydevsuri, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 414
________________ m प्रथमं परिशिष्टम् । ७३ विशिष्टशब्दाः सूत्राङ्काः | विशिष्टशब्दाः सूत्राङ्काः विशिष्टशब्दाः सूत्राङ्काः संपागडपडिसेवी २९२ संवास २४८,३५३ सक्करप्पभा १५५ संबाहा १०६ | संवासभद्दते २५६ | सक्कराभा संबुक्क २८९ संवासित्तते २०४ | सक्कारासंसप्पओग ७५९ संबुक्कवट्टा ५१४ संवाहण ३२५ सक्कारेति २५६ संबोहेतव्व ३२३ संवुड १४८ | सक्कारेमि संभरेत्ता २६९ संवुडबउसे ४४५ सक्कारेत्ता संभव ७२९ संवुडवियडा १४८ सक्कुलिकन्न संभुंजित्तए ६६ संवुड्ढ ७६२ | सक्कुलिकन्नदीव ३०१ संभुजेत्तए २०४ संवेगणी २८२ सगडे ७५५ संभूतविजते ७५५ संसट्ठकप्पिते ३९६ सगति ३२३ संभोगियं १८० संसट्ठोवहडे १८८ | सगर ७१८ संभोतित ३९८,६६१ संसत्ततवोकम्म ३५४ | सगलपुण्णमासी ४६० संभद्दा ५०३ संसयपढे ५३४ सगुण १५८,१६९ संमुइस्स ६९३ संसार २६१,२९४ सचक्केहि ६७२ संमुच्छंति ७७६ |संसारकंतार १४४,७५० सचित्ता २१४ संमुच्छिमा ४४४,४८४ | संसारसमावन्नगा ४९,११२, | सचेलियाहिं ४१७ संमुता ५५१ १७०,३६५,४५८, सच्च २३८,२४१,२५४, संमुती ७६७ ५६०,६४६,६६६,७७१ ३०८,३९६,४७५, संमोह ३५४ | संसाराणुप्पेहा २४७ ५९४,७४१ सरभकरण १३२ | संसुद्ध २७ | सच्चती ६९२ संलवमाण २९० संसुद्धणाणदसणधरे ४४५ सच्चप्पवायपुव्व १२० संलाव ५८४ संसेतिम १८८ सच्चभामा ६२८ संवच्छर १०६,१५४, |संसेदगा ५४३ सच्चमोसं २३८ ४६०,५७२,६५८ | सकिरित ५८५ | सच्चसंजमतवगुणसुचरियसंवट्टतित्ताणं १०८ सकिरितट्ठाणं ३९८ सोचवियफलपरि९,४९,४२७, सक्क १०५,१६२,२५७, निव्वाणमग्ग ६९३ ४८७,६६५,७०९ २६०,२७३,३०७, सच्चामोस ७४१ संवरदारा ४१८ ४०४,४०५,६४४, | सजोगिकेवलिखीणसंवरबहुल २३५ ७६९ | कसायवीतरागसंजमे ६२ संवसमाणी ४१६,४१७ सक्कता ५५३ सजोगिभवत्थकेवलणाण ६० संवसित्तए ६६ सक्कप्पभ ७२७ सजोणिय संवर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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