Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Part 03
Author(s): Abhaydevsuri, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 525
________________ १८४ स्थानाङ्गसूत्रटीकायाः तृतीयविभागे ग्रन्थान्तरेभ्यः साक्षितयोद्धृतानां पाठानां पृष्ठक्रमेण सूचिः गाथा पृष्ठाङ्कः | गाथा पृष्ठाङ्कः सव्वं असणं सव्वं च ...... सो होइ अभिगमरुई ...... [आव० नि० १५९१] [उत्तरा० २८।२३] ८६७ अंगुट्ठ-मुट्ठि-गंठी-धरसेउस्सास. दव्वाण सव्वभावा ....[उत्तरा० २८।२४] ८६७ [आव० नि० १५९२] ८५८ नाणेण दंसणेण य तवे......[उत्तरा० २८।२५] ८६७ अद्धापच्चक्खाणं जं तं...... अणभिग्गहियकुदिट्ठी ....[उत्तरा० २८।२६] ८६७ [आव० नि० १५९३] ८५८ | जो अत्थिकायधम्मं ....[उत्तरा० २८।२७] ८६७ जइ अब्भत्थेज परं ...... | गोयम १ समुद्द २ सागर....[अन्तकृद्दशा० ] ८७६ - [आव० नि० ६६८] ८५८ | धन्ने य सुनक्खत्ते......[अनुत्तरोपपा० ] ८७६ संजमजोगे अब्भुट्ठियस्स. पेढालपुत्ते अणगारे......[अनुत्तरोपपा० ] [पञ्चा० १२।१०] ८५९ | सक्कोसजोयणं विगइनवय [ ] ८७९ वायणपडिसुणणाए ....[पञ्चा० १२।१५] ८५९ वारिमज्झेऽवगाहित्ता......[ ] ८७९ कप्पाकप्पे परिनिट्ठियस्स....[पञ्चा० १२।१४] ८५९ | एगे भवं दुवे भवं [पुप्फिया] ८८० कज्जे गच्छंतस्स उ ......[पञ्चा० १२।१८] ८५९ | सो पासत्थो दुविहो......[ ] ८८४ एवोग्गहप्पवेसे निसीहिया...[पञ्चा० १२।२२] ८५९ | देसम्मि उ पासत्थो......[ ] ८८४ आपुच्छणा उ कजे...[पञ्चा० १२।२६] ८५९ शौड गर्वे [पा० धा० २९० ] ८८७ पडिपुच्छणा उ कज्जे ......[पञ्चा० १२।३०] ८५९ मत्तंगेसु य मजं......[ ] ८८९ पुव्वगहिएण छंदण......[पञ्चा० १२।३४] ८६० | दीवसिहा-जोइसनामया......[ ] सज्झाया उव्वाओ......[पञ्चा० १२।३८] ८६० मणियंगेसु य भूसणवराई......[ ] ८९० उवसंपया य तिविहा......[पञ्चा० १२।४२] ८६० जायमेत्तस्स जंतुस्स....[तन्दुल० प्रकी०४५] ८९२ वत्तणसंधणगहणे सुत्तत्थोभयगया... | बितियं च दसं पत्तो...[तन्दुल० प्रकी०४६] ८९२ [पञ्चा० १२॥४३] ८६० | तइयं च दसं पत्तो...[तन्दुल० प्रकी०४७] ८९२ जो जिणदिढे भावे .... उत्तर ० २८।१८] ८६६ चउत्थी य बला नाम...[तन्दुल० प्रकी०४८] ८९३ एए चेव उ वे उवइटे...... पंचमिं च दसं पत्तो...[तन्दुल० प्रकी०४९] ८९३ [उत्तरा० २८।१९] ८६६ | छट्ठी उ हायणी....[तन्दुल० प्रकी०५०] ८९३ रागो दोसो मोहो ......[उत्तरा० २८।२०] ८६६ सत्तमिं च दसं पत्तो....[तन्दुल० प्रकी०५१] ८९३ जो सुत्तमहिज्जतो सुएण...... |संकुचियवलीचम्मो .... तन्दुल० प्रकी०५२] ८९३ [उत्तरा० २८।२१] ८६६ | नवमी मुंमुही नाम......[तन्दुल० प्रकी०५३] ८९३ एगपएऽणेगाई पयाई हीणभिन्नस्सरो दीणो....[तन्दुल० प्रकी०५४] ८९३ [उत्तरा० २८।२२] ८६६ / उदयक्खयखओवसमोवसमा.... [विशेषाव०५७५] ९०३ ८८९ WWW Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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