Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Part 03
Author(s): Abhaydevsuri, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 554
________________ पञ्चमं परिशिष्टम् । २१३ उद्धृतः पाठः पृष्ठाङ्कः । उद्धृतः पाठः पृष्ठाङ्कः संघयणादणुरूवं एत्तो...[पञ्चव० १५७४] १६१ | सक्तः शब्दे हरिणः स्पर्श .....[ ] ५०२ संघाडीओ चउरो तत्थ.... बृहत्कल्प०४०८९] ३१६ | सगडुद्धिसंठियाओ...[आचाराङ्गनि० ४६] २२५ संजमकरणुज्जोया...बृहत्कल्प० ६४८५] ६४० | सग्गामपरग्गामा.....[पञ्चा० १३।१३] ८०४ संजमजोगविसन्ना..उत्तरा० नि० २१६] १६० | सचरित्तपच्छयावो.....[आव०नि० १०६२] ९४ संजमजोगे अब्भुट्ठियस्स..... | सच्चं १ मोसं २.... [ ] १८२ [आव० नि० ६८२] ६४९ | सच्चरणमणुट्ठाणं विहिपडिसेहाणुगं...[ ] २५६ संजमजोगे अब्भुट्ठियस्स....[पञ्चा०१२।१०] ८५९ | सच्चा हिया सतामिह संतो ..... संजोगसिद्धीए फलं.... [आव०नि० १०२] ६० ३१० संतिमे सुहुमा पाणा [दशवै० ६।२४] ५३५ / सच्चित्तं जमचित्तं ......[पञ्चा० १३।७] ८०३ संती कुंथू य अरो तिन्नि...... | सच्चित्ते अचिच्चि]त्तं १..... निशीथभा० २५९१] | व्यवहारभा० १५१] संती कुंथू य अरो....[आव० नि० २२३] ३०१ / सज्जाइ तिहा गामो स ......[ ] ६७७ संथरणम्मि असुद्धं ....(निशीथभा० १६५०] १८६ | सज्जेण लब्भई वित्तिं.. संथार-पाय-दंडग-.....[ओघनि० ३६४] ५८० | स्थानाङ्ग० ५५३ ५४] संपुडगो दुगमाइफलगा .....[ ] ३९७ सज्झाया उवाओ......[पञ्चा० १२।३८] ८६० संभोइओ असुद्धं.... [निशीथचू० ] २३६ | सट्ठा मूलद्दहणे अज्झोयर...... संमुच्छिम १५ कम्मा...[विशेषाव० २७०४] २२५ पञ्चा० १३।१५] ८०४ संलापो भाषणं मिथः [अमरको० १६] ६९९ | स,ि नागसहस्सा.....[बृहत्क्षेत्र० २।२०] ३८७ संलिहिऊणऽप्पाणं एवं... | सत्त पाणूणि से... जम्बू०२।२, [आचा० नि० २७३/२] | बृहत्सं०२०८] १४८ संवरिए वि हु..... निशीथभा० ३७८१] ५४२ | सत्त य सुत्तनिबद्धा कह ......[ ] ६७५ संविग्गअन्नसंभोइयाण..... [पञ्चव० ५३८, | सत्तत्तरिं सयाई चोद्दस...[बृहत्क्षेत्र०५।४२] १४३ पञ्चा० ५।४१] ५१२ | सत्तमिं च दसं पत्तो....[तन्दुल०प्रकी० ५१] ८९३ संविग्गभावियाणं....निशीथभा० १६४९] सत्तरस एक्कवीसाइं ......द्वीपसागर० १६६] ८३१ संसट्ठ १ मसंसट्ठा २......[ ] ६६० | सत्तरस एगवीसाई... [द्वीपसागर० २] २८१ संसट्ठमसंसद्रु] ५१३ | सत्तवहवेहबंधण ....[ध्यानश० १९] ३१९ संसारमणवयग्गं जाइ-.[बृहत्कल्प० ५०१०] २७७ | | सत्ताणउई सहस्सा.... बृहत्क्षेत्र० ३।४३] १३९ सक्कार १ भुट्ठाणे २......[ ] ७०० | सत्थेण सुतिक्खेण वि..[जम्बूद्वीपप्र०२।२८] २२७ सक्के देविंदे देवराया.....[जम्बूद्वीप० २।३५] ८५२ | सत्पर्ययेण नाशः......[ ] ८१७ सक्कोसजोयणं विगइनवय [ ] ८७९ | सत्यं शौचं तपः शौचं .....[ ] ५८२ सक्खं चिय संथारो......[विशेषाव० २३०८] ७०५ | सत्यपि च मानुषत्वे .....[ ] ६०७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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