Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Part 03
Author(s): Abhaydevsuri, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 561
________________ २२० स्थानाङ्गसूत्रटीकायिमुल्लिखितानां विशेषनाम्नां सूचिः विशेषनाम पृष्ठाकः विशेषनाम पृष्ठाक: विशेषनाम पृष्ठाङ्कः महानाग ४३६ वर्धमान [सूरि] ९०६ श्रीक ८७२ महापद्म ८०३,८२५ वर्धमानस्वामि १,२९३,३०१, श्रीगुप्त ७०८ महाबल ६८७ ७०६,७८५,८६३, श्रीदाम ८७२ महायश ३११ ८७४,८७७,८९९ श्रीदेवी ८७८,८८० महावीर १,११,५८,१८७, वसु [आचार्य] ७०५ | श्रेणिक ४३७,४४०,८७६,८७७ २२८,२९२,७४०,४४०, वासुदेव ७८८,८८७ षडुलूक ६६७,७०८ ४९९,६१३,६४१,६९२, वासुपूज्य ६३० | संगमक ४८२ ७०४,७४०,७८५,७८९, विजय ८७२ संजय ७४० ८६२,८७२,८७४,८७७, विजयराज ८७४ |संती ३०१,८२६ ८९७-८९९,९०६ विजयवर्धमानक ८७२ | संभूतविजय ८८१ महाशतक ८७५ विन्ध्य ७०९ सगडाल ८८१ महेन्द्रसिंह ८८७ | विष्णु ३०६ सगर ८२५ महेश्वरदत्त ८७२ वीर १,५८ | सत्यकि ७८८ मागध ७४७ | वीरयशाः ७४० सद्दालपुत्र ८७५ मित्र | वीराङ्गक ७४० | सनत्कुमार ३०६,८१६ मित्रश्री ७०६ वैरस्वामि ३११,६६७ | सर्वानुभूति ८९८ मुनिचन्द्र २१८,४७३ | वैरस्वामिमाता ८१६ | सहसोद्दाह-सहस्रोद्दाह ८७४ मुनिसुव्रत ६६७,८७६ वैरादि शाखा] ७३४ सागरचन्द्र २१८,४७३ मृगग्राम ८७२ | शङ्ख ६८७,६८९,७४१,७८६ | सागरदत्त ८७२ मृगा ८७२ शतक ७८६,७८८ सिंह ७८७ ४४० शय्यंभव ३११,६६७ सिंहगिरि मृगापुत्र ८७२ शान्ति ६१३ सिंहसेन ८७४ मेतार्य २१८,४७३,८१६ शाखांजनी ८७३ सिंहस्थ यशोदेवगणि ९०६ शालिभद्र | सिद्धार्थ यशोभद्र ३११ | शिव ७४० | सिद्धार्थराज रामा ५३० शिवभूति ६६७,८१६ सुग्रीव ५३० रेवती ७८७,८७५ शूलपाणि ८६२,८६३ सुज्येष्ठा ७८८ रोहगुप्त ७०८ शैलक ३०७ सुदर्शन ८८१ रोहीतक ८७४ शौरिक ८७२ | सुदर्शना ७०४,८७२ लक्ष्मी गृह] ७०७ शौरिकदत्त ८७२ | सुधर्मस्वामी ११,२९२ लेयिकापित ८७५ श्यामा ८७४ | सुनक्षत्र ८७६,८१८ मृगापति ३११ ८१६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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