Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Part 03
Author(s): Abhaydevsuri, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 575
________________ २३४ [सू० २३२] नवमं परिशिष्टम् - चित्राणि चतुर्दशरज्ज्वात्मकस्य लोकस्य स्वरूपम् जैन दजौनसार विश्वदर्शन-१४ राजलोक- अनंत | अनंत अलोक लोकाग्रभाग अनंत - अनंत सिद्ध भगवंत - सिद्धशिला - ५ अनुत्तर - नव ग्रैवेयक १२ वैमानिक देवलोक का का वं HE EFFE TES नव लोकान्तिक अनंत . ३ किल्बिषिक अलाकाकाश काचर अचर ज्यातिष वाणव्यंतर व्यंतर मेरु पर्वत १० भवनपति असंख्य द्वीप समुद्रो -नरक १ १५ परमाधामी उल प्रभा तिर्छा १० तिर्यग् जुंभक शर्करा प्रभा लोक घनोदधिवलय सारस्पनरक२ घनवातवलय तनवातवलय वालुका प्रभा या-नरक ३ 21.4 RESS TETTE ___ पंक प्रभा नरक ४ धूम प्रभा नरक ५ तमः प्रभा १११९५५ TIT x4 T६ | अलोक अलोक त्रसनाडी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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