Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Part 03
Author(s): Abhaydevsuri, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 552
________________ पञ्चमं परिशिष्टम् । २११ ५५२ २१२ उद्धृतः पाठः पृष्ठाङ्कः । उद्धृतः पाठः पृष्ठाङ्कः रुयगस्स उ उस्सेहो.द्वीपसागर० ११३] २८२ | वत्थगन्धमलङ्कारं [दशवै० २।२] ५३२ रूवंग दट्टेणं उम्माओ... बृहत्कल्प०६२६४] ५६३ वत्थु वसइ सहावे ....[विशेषाव० २०४२] २५८ रोसेण पडिनिवेसेण तहय .....[ ] ४८९ | वत्थुपयासणसूरो अइसय.....[ ] रौद्रः क्रोधप्रकृतिः [काव्यालं० १५।१३] ४७६ | वत्थे अप्पाणम्मि य.....[पञ्चव० २४०] ६१९ लक्खाइं तिन्नि दीहा.....बृहत्क्षेत्र० ३।४९] १३९ | वधश्चैव १ परिक्लेशो.....[ ] २५६ लज्जाए गारवेण य....[उत्तरा०नि० २१७] ७१८ | वयं पुण एवं.....[चन्द्रप्र० १०।२१] ७११ लखुवओगा भाविंदियं.....(विशेषाव० २९९७] ५७३ | वरं कूपशताद्वापी वरं..... नारद०१।२१२] ४३४ ललाटकेशः प्रभुत्वाय [ ] ७३३ | वलयामुह केऊए जूयग.....[बृहत्क्षेत्र०२।५] ३८६ लवणे उदगरसेसु य....[ ] २१२ | ववहरणं ववहरए स....[विशेषाव० २२१२] ६६९ लवणे कालसमुद्दे.....[बृहत्सं० ९०] ववहारव ववहारं ......[ ] लहुया ल्हाईजणणं ...व्यवहारभा० ३१७] ७२२ | वस्तुन एव समानः......[ ] लाभमएण व मत्तो अहवा..... वाचा पेशलया साधु..... [ ] २५६ [बृहत्कल्प० ६२४३] ५६३ | वायणपडिसुणणाए...... [पञ्चा०१२।१५] ८५९ लिंगपुलाओ अन्नं .....[उत्तरा०भा० ४] ५७७ | वायुः समुत्थितो ......[ ] ६७५ लिंगेण लिंगिणीए.. [बृहत्कल्प० ५००८] २७७ | वायुः समुत्थितो नाभेः .....[ ] ६७४ लिंबंब जंबु कोसंब....[प्रज्ञा० १३] २०६ वायुः समुत्थितो नाभेः......[ ] लेप्पगहत्थी हत्थि त्ति...आव०नि० १४४७] १७४ | वायुः समुत्थितो नाभेरुरोहृदि......[ ] ६७५ लेवडमलेवडं वा ....[पञ्चव० २९८] ५१२ वायुना बहुशो भिन्ने,.....[ ] ४९४ लोगत्थनिबोहा वा...... [विशेषाव० २१८७] ६६८ वारिमज्झेऽवगाहित्ता......[ ] ८७९ लोगविभागाभावे....विशेषाव० १८५३] २४ | वारुणिवर खीरवरो घय.....बृहत्सं० ८८] ४९६ लोगस्सऽत्थि विवक्खो...[विशेषाव० १८५१] २३ | वारेयब्बो उवाएणं [दशवै० नि० ७०] ४३९ लोयाणुग्गहकारिसु ....(निशीथभा० ४४२३] ५८५ | वासं कोडीसहियं...आचा०नि०२७३।१] लोले तह लोलुए चेव [विमान० ३०] ६२७ | वासहरकुरुसु दहा.... बृहत्क्षेत्र० ३।३९] १४० वंजिज्जइ जेणऽत्थो....[विशेषाव० १९४] ८३ वासहरगिरी १२...... बृहत्क्षेत्र० ३।३८] १३९ वक्खारपब्बयाणं ..... [बृहत्क्षेत्र० २५९] ११९ | वासहरगिरी तेणं.... [बृहत्क्षेत्र० २६०] ११९ . वज्जंतायोज्जममंदबंदिसदं .....[ ] ३५७ | वासहरा वक्खारा....बृहत्क्षेत्र० ५।३८] १४३ वज्जरिसभनारायं पढमं ......बृहत्सं० १७३] ६११ विउलं वत्थुविसेसणमाणं...(विशेषाव० ७८५] ८३ वटं च वलयगं पि व... विमान० २४७] २४६ | विगला लभेज्ज विरइं ण....बृहत्सं०२९७] ४२९ वटै वट्टस्सुवरिं तंसं...[विमान० २४६] २४६ | | विग्गहगइमावण्णा १....[जीवसमासे ८२] १५९ वत्तणसंधणगहणे सुत्तत्थोभयगया.... विचारोऽर्थव्यञ्जन... तत्त्वार्थ० ९।४६] ३२१ [पञ्चा० १२।४३] ८६० | विजयाणं विक्खंभो ..... बृहत्क्षेत्र० ३७०] ३८१ ६७५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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