Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Part 03
Author(s): Abhaydevsuri, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 550
________________ पञ्चमं परिशिष्टम् । २०९ उद्धृतः पाठः पृष्ठाङ्कः । उद्धृतः पाठः पृष्ठाङ्कः भरनित्थरणसमत्था .....[आव० नि० ९४३] ४८५ भूमीए असंपत्तं पत्तं वा..... भरहं हेमवयं ति.... [बृहत्क्षेत्र० २३] ११४] [बृहत्कल्प० ६१८६] ५६२ भरहे मुहविक्खंभो..... बृहत्क्षेत्र० ३।१३] १३९ | भूमीए भद्दसालं...... बृहत्क्षेत्र० १।३१६] १४२ भवण १० वण ८......[बृहत्सं० १४३] ४९२ | भोयणकाले अमुगं......[ ] ६६३ भवणं कोसपमाणं ..... बृहत्क्षेत्र० २८८] ७४८ | मंगलपयत्थजाणयदेहो...विशेषाव० ४४] १७४ भवणं कोसपमाणं.... बृहत्क्षेत्र० २८८] मंसंकुरु ब....विशेषाव० १७५६] ४७ भवति गमने नराणाम्-......[ ] ७११ | मइपुलं जेण सुयं .....[विशेषाव० ८६] भवति जुगुप्साप्रकृतिब्रीभत्सः मच्छजुयले सहस्सं [बृहत्सं० ३०७] ८३३ [काव्यालं० १५५] ४७६ | मज्झणुभावं खेत्तं...[ ] २१५ भवति स नामातीतः.....[ ] २६७ | मज्झा उत्तरपासे ..... [विमान० ३२] ६२८ भवसिद्धिओ उ भयवं ......[ ] ७८९ | मणगुत्तिमाइयाओ..... निशीथभा० ३७, भारेण वेदणा वा हिंडते..... बृहत्कल्प०४४५१, उपदेशपद०६०४] १८९ व्यवहारभा० २५७४] ५६६ मणवइकाइयविणओ ......[ ] ७०१ भावपरिन्ना जाणण..... [आचाराङ्गनि० ३७]५४५ | मणसा वयसा काएण....[ ] १८१ भावमवि संलिहेइ....[पञ्चव० १५९३] १६१ | मणियंगेसु य भूसणवराई......[ ] ८९० भावस्स कारणं जह....(विशेषाव० ५४] १७६ | मणुयाण पुवकोडी..... [ ] भावेइ भावियप्पा.... [पञ्चव० १५९४] १६१ मतिसुयणाणावरणं....विशेषाव० २८९५] भावो विवक्षितक्रिया.... [ ] १७५ मत्तंगेसु य मज्जं......[ ] ८८९ भाषासमिति म .....[तत्त्वार्थभा० ९५] ५८७ | मद्दलसाराई तूराई [ ] ७२२ भिंगंगरुइलकज्जल-.....[द्वीपसागर० ३७] ३९३ | मयहर पगए बहुपक्खिए...... भिक्खायरियाइ... [आव०नि० १४३९] २७१ [आव० नि० १३६१] भिषग् १ द्रव्याण्यु २ पस्थाता.....[ ] ४५३ | महवय अणुव्वएहि य... [बन्धशतक० २३] १८७ भीउब्बिग्गनिलुक्को ....[उपदेशमाला० ४७८] ७१८ | महाहिमवंताओ वासहरपब्वयाओ..[सू० ८९] १४१ भुंजंति चित्तकम्मट्ठिया..... महिलासहावो १... [बृहत्कल्प० ५१४४] २७८ निशीथभा० ४४२१] ५८५ महुलित्तनिसियकरवालधार..[प्रथमकर्म० २८] १६५ भुंजमाणस्स उक्खित्तं ,...[व्यव०९।३८३८] २५० माघे प्रबलो वायुस्तुषारकलुषद्युती...... भुत्तसेसं तु जं भूओ,...[व्यव०९।३८३०] २५१] [बृहत्संहिता २१।२०] ४९३. भूतस्य भाविनो वा....[ ] १७४ | माणसमेत्तो छउमत्थ-... [विशेषाव० ८७] ५९६ भूदगपंकप्पभवा चउरो..... [बृहत्सं० २९७] ६२५ माणुम्माणपमाणादि......[ ] ७९५ भूमिक्खयसाभावियसंभवओ... माता भूत्वा दुहिता.....[प्रशम० १५६] ३२१ [विशेषाव० १७५७] ४८ | माया लोभकषायश्चेत्येतद्... [प्रशम० ३२] १५१ १६५ ८२१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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