Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Part 03
Author(s): Abhaydevsuri, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 549
________________ २०८ स्थानाङ्गसूत्रटीकाया: ग्रन्थान्तरेभ्य: साक्षितयोद्धृतानां पाठानामकारादिक्रमेण सूचिः उद्धृतः पाठः पृष्ठाकः । उद्धृतः पाठः पृष्ठाङ्कः पुबद्धस्स य मज्झे.... [बृहत्क्षेत्र० ३।६] १३९ बायर वड्डवराहे जो...... [ ] ८३६ पुब्बभववेरिएणं अहवा रागेण..... | बायालीससहस्से... [द्वीपसागर० ७३] २८२ [बृहत्कल्प० ६२५८] ५६३ बायालीसेसणसंकडम्मि .....[ओघनि० ५४५, पुब्वमदिट्ठमसुयमचेइय-...[आव०नि० ९३९] ४८५ | । पञ्चव० ३५४] पुवस्स उ परिमाणं... बृहत्सं० ३१६] १४८ बारस १ दस २... [बृहत्कल्प० ६४७२] २८४ पुबा तिन्नि य मूलो मह.....[ ] ६२९ | बारसवासस्स तहा .....पञ्चव० ५८५] ५१९ पुब्बाइअणुक्कमसो .....(बृहत्क्षेत्र० २।२१] ३८८ | बारसविहम्मि वि तवे.... [दशवै०नि० १८६, पुवामहो उ उत्तरमुहो.... [पञ्चव० १३१] ९४| निशीथभा० ४२] १०८ पुब्बिं पच्छा संथव... [पिण्डनि० ४०९, | बारसहिं जोयणेहिं...[आव० नि० ९५९] ३९ पञ्चा० १३।१९, पञ्चव० ७५५] २७० | बालसरीरं देहतरपुवं...[विशेषाव० १६१४] २७ पुवेण तिन्नि कूडा दाहिणओ...द्वीपसागर०६] ३७९ बाले वुड्ढे नपुंसे... [निशीथ० ३५०६] २७९ पुबोवट्ठपुराणे......[व्यव० १०।४६०५] २१९ | बावीस सहस्साइं ....[बृहत्क्षेत्र० ३१७] ३८२ पूर्णषोडशवर्षा स्त्री, ..... [ ] ५३९ | बासट्ठि सहस्साइं पंचेव...बृहत्क्षेत्र० ३३८] ३८२ पूर्वायामौदीच्यं प्रातीच्यं......[ ] ७११ | बाहल्लपुहत्तेहिं गंडी पोत्थो .....[ ] ३९७ पेच्छइ विवड्ढमाणं....[विशेषाव० ७३१] ६३३ | बिंट बाहिरपत्ता य...[प्रज्ञापना० १९१] २०६ पेढालपुत्ते अणगारे...... अनुत्तरोपपा० ] बितियं च दसं पत्तो.. तन्दुल० प्रकी० ४६] ८९२ पौषे समार्गशीर्षे .....बृहत्संहिता २१।१९] ४९३ |बितियपद मणाभोगा...(निशीथभा० २५२०] ५३७ प्रलापोऽनर्थकं वचः [अमरको० १५] बीयपदमणप्पज्जे .....निशीथभा० ३७७९] ५४२ प्राणा द्वित्रिचतुः प्रोक्ता .....[ ] ५५७ | बीयपयमणप्पज्जे ..... [निशीथभा० २३४९] ५४२ प्राणा द्वित्रिचतुः प्रोक्ता....[ ] २३० | भण्णइ घेप्पइ य..... [विशेषाव० ९५७] ८ प्लुङ् गतौ [पा०धा० ९५८] २१८ | भण्णइ जिणपूयाए...[पञ्चाशक० ४।४२] १८६ फलियं पहेणगाई ... [व्यव० ९।३८२१] २४९ भत्तपरिन्नाणसणं......[ ] १६२ फाल्गुनमासे रूक्षश्चण्डः..... भत्ती १ तह बहुमाणो.....[ ] ७०० [बृहत्संहिता २१२१] | ४९३ | भत्तीए जिणवराणं....[आव०नि० १११०] १४ बत्तीस अट्ठवीसा....बृहत्सं० ११७] २९१ | भत्तोसं दंताई.... [पञ्चाशक० ५।२९] १८४ बत्तीसं किर कवला.... [पिण्डनि० ६४२ २५१ | भदि कल्लाणसुहत्थो.... विशेषाव० ३४३९] २०८ बत्तीसा अडयाला.....बृहत्सं० २४७] ५४ | भद्रो मन्दो मृगश्चेति .....[ ] ३५४ बहिया वि होति..... [निशीथभा० २५१९] ५३७ | भन्नइ य तहोरालं वित्थरवंतं .....[ ] ५०८ बहुतरओ त्ति य तं ....विशेषाव० २२२१] ६६९ भयणपयाण चउण्हं... निशीथभा० २३४६] ५४१ बहुविग्घाई सेयाइं ..... विशेषाव० १२] ३ | भयमभिउग्गेण सीहमाई व [ ] ८३५ बहुसो बहुस्सुएहिं....व्यव० भा० ४५४२] ५४७ | भरणी स्वात्याग्नेयं ३......[ ] ८०७ ___८७६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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