Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Part 03
Author(s): Abhaydevsuri, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 558
________________ उद्धृतः पाठः सोलसवासाईसु य .....[पञ्चव० ५८७] सोलहियं सयमेगं...[बृहत्क्षेत्र० ५/४९ ] सोहम्मे पंचवण्णा [[बृहत्सं० १३२] सोहम्मे पंचवन्ना....[ बृहत्सं० १३२] सोहम्मे पंचवन्ना...[ बृहत्सं ०१३२] सोही य नत्थि न वि......[ 1 सोऽणेगंतो जम्हा...[विशेषाव० १५६६ ] स्तन - केशवती स्त्री.... [ ] स्तनादि-श्मश्रु-.... [ 1 स्नु प्रश्रवणे [पा० धा० १०३८ ] ] स्नेहरागापनयनं ९ [ स्मितं न लक्षण ..... ] स्यादारम्भ उपक्रमः [अमरकोष० ६८९ ] स्याद्वादाय नमस्तस्मै......[ स्वस्थानाद्यत् परं .....[ Jain Education International ] ] हट्ठस्स अणवगल्लस्स,... [ जम्बूद्वीपप्र० २।१, बृहत्सं० २०७] हयं नाणं कियाहीणं....[ आव०नि० १०१] हयमम्हाणं नाणं .....[ ] हरइ रयं जीवाणं बज्झं हरियाल मणोसिल . [ निशीथभा० ४८३४] [ ] पञ्चमं परिशिष्टम् । पृष्ठाङ्कः | उद्धृतः पाठः ५१९ | हरिवासरम्मएसु.... [ बृहत्क्षेत्र० २५५] १४३ | हरिवासे इगवीसा....[ बृहत्क्षेत्र० ३१] ४९२ हा पुत्त पुत्त हा वच्छ !....[ २१३ हास १ प्पदोस २ वीमंसओ...... १४५ [विशेषाव ० ३००६] ६९२ | हिंसा-ऽनृत-चौर्योद्यत......[ 1 1 १९ हिमवंत १ महाहिमवंत... [ बृहत्क्षेत्र० २४] १८० हियए जिणाण आणा .....[ ] १८० हीणभिन्नस्सरो दीणो २१७ For Private & Personal Use Only पृष्ठाङ्कः १३० ११७ ६९२ ४८२ ८५४ ११४ ४०२ ७०२ [तन्दुल० की ० ५४ ] २५६ | हेमवए पंचहिया....[ बृहत्क्षेत्र ० ३०] २६४ | संतहयं गज्जंतमयगलं ...... [ 1 ३७५ | होंति पडुप्पन्नविणासणम्मि...... २१ [दशवै० नि० ६९ ] ४३९ १६ ५९८ | होइ कयत्थो वोत्तुं....[विशेषाव० १००९] होइ कयत्थो .... [ विशेषाव० १००९ ] १० १४८ होइ पुलाओ दुविहो [ उत्तरा० भा० २] ५७७ ६० होइ रसालू व ....[ ] २०० ४०२ होज्जहु वसणं पत्तो.....[ निशीथ० ५४३५] ४५७ ५७९ होही पज्जोसवणा मम...[ आव० नि०१५८०] ८५६ ९० हस्सक्खराई मज्झेण...[ विशेषाव० ३०६८] ३२३ ८९३ ११७ ३५७ www.jainelibrary.org

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