Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Part 03
Author(s): Abhaydevsuri, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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स्थानाङ्गसूत्रटीकाया: ग्रन्थान्तरेभ्यः साक्षितयोद्धृतानां पाठानामकारादिक्रमेण सूचिः
१०
उद्धृतः पाठः पृष्ठाङ्कः । उद्धृतः पाठः
पृष्ठाङ्कः इत्थीओ सयणाणि य [दशवै० २।२] ८५१ उत्तर तिन्नि विसाहा ..... [ ] ६२९ इमउ त्ति सुत्तउत्ता १ उद्दिट्ठ.....
उत्ताणग पासल्ली.... [पञ्चाशक० १८।१५] २५३ [बृहत्कल्प० ५६१९]
५३२ | उदयक्खयखओवसमोवसमा...[विशेषाव० ५७५] ८२ इय संदसणसंभासणेहिं....[बृहत्कल्प० ३७१३] ५४२ | उदयक्खयखओवसमोवसमा...(विशेषाव०५७५] ९०३ इरियं न य सोहेई ....[पिण्डनि० २६४] ६१६ |
| उदयखयखओवसमोवसम-..... [ ] ५६९ इरियावहिया किरिया.....[आव० हारि० ] ६६ | | उदयस्सेव निरोहो उदयप्पत्ताण.....[ ] ३४९ इह चोत्पत्तिमङ्गीकृत्योत्तरं.....
उद्दड्ढे चेव निद्दड्ढे (विमान० २७] ६२७ [आचाराङ्गटी० ]
४६० | उद्दिसिय साहुमाई ओमच्चय...... इहं बोंदी चइत्ताणं....[आव० नि० ९५८] ३९ [पञ्चा० १३।८]
८०३ इहपरलोगनिमित्तं .....[बृहत्कल्प० ६३३४] ६३९ | उद्देसे निडेसे... [आव०नि० १४०, इहरह वि ताव... बृहत्कल्प० ५२०१] २८० विशेषाव० १४८४] इहरा उ मुसावाओ.... [पञ्चव० ९३३] २३६ | उद्धट्ठाणं ठाणाइयं.....[बृहत्कल्प० ५९५३] ५१४ ईयालीस सहस्सा... [बृहत्क्षेत्र० ५।१७] १४२ | | उद्धरियसव्वसल्लो भत्तपरिन्नाए.... ईरेइ विसेसेण व....विशेषाव० १०६०] ५८ [ओघनि० ८०७]
७१९ ईर्यासमिति म रथ-.....[आव० हारि० ] ५८६ | उद्धारसागराणं अड्ढाइज्जाण.. ईसाणस्सुत्तरिमा पासाया....बृहत्क्षेत्र० ३२४] ७५३ बृहत्क्षेत्र० १।३] उउवासा समतीता... [बृहत्कल्प० ५९५] ५५० | उन्मादस्तदनु ७ ततो व्याधि.. उक्कोस लोगमित्तो पडिवाइ.....
[रुद्रटकाव्यालं० १४/५] [आव०नि० ५३, विशेषाव० ७०३] ६३४ | उपपातो देव-....[तत्त्वार्थ० २।३५] २२३ उक्कोसं बहुसो वा....[ ]
२७८| उप्पन्ननाणा जह.....व्यवहारभा० २५७१] ५६६ उक्खित्तमाइचरगा .....[पञ्चव० ३०३] ५१२ | उप्पन्ने इ वा विगए इ....[ ] ३७८ उक्तक्रमेण नक्षत्रैर्युज्यमानस्तु .... [ ] ६२९ | उप्पाय १ अग्गेणीय २ वीरियं .....[ ] ३३६ उग्गा भोगा रायन्न... [आव० नि० २०२] १९२| उप्पायठितिभंगाइं पज्जयाणं ..... उचिए काले विहिणा......[ ] ६६३ __ [ध्यानश० ७७]
३२१ उच्चारं पासवणं ..... 1
६४९ | उप्पायण संपायण....पञ्चाशक० १३।१७, उज्जु रिउं सुयं...... [विशेषाव० २२२२] ६६९ | पञ्चव० ७५३]
२७० उट्ठाणं वंदणं चेव....[व्यव० १०।४६०१] २२० | उप्पाये पयकोडी १ अग्गेणीयम्मि.....[ ] ३३७ उट्ठाणासणदाणाई...[व्यव० १०।४६००] २२० | उब्भामिया य महिला.....[दशवै०नि० ८८] ४४५ उड्ढे उवरिं जं ठिय....[ ]
२१५ | उम्मग्गदेसओ मग्गनासओ... उत्तमं प्रणिपातेन, ......[ ]
[बृहत्कल्प० १३२१]
बकल्प०१३२१ उत्तमकुलसंभूओ ..... [ ] २६३ | उम्माओ खलु .....[बृहत्कल्प० ६२६३] ५६३
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