Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Part 03
Author(s): Abhaydevsuri, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
View full book text
________________
१९६
स्थानाङ्गसूत्रटीकाया: ग्रन्थान्तरेभ्यः साक्षितयोद्धृतानां पाठानामकारादिक्रमेण सूचिः
३८५ चाला
३३७
उद्धृतः पाठ पृष्ठाङ्कः। उद्धृतः पाठः
पृष्ठाङ्कः चउत्थी य बला नाम....[तन्दुल०प्रकी० ४८] ८९३ | चारिय चोरा १ ...(निशीथभा० १३०] ३५८ चउनाण ४ ऽन्नाणतियं ३.....[ ] ६४८ | चालिज्जइ बीहेइ व धीरो ..... चउरंगुलदीहो वा वट्टागिति .....[ ] ३९७ ध्यानश० ९१]
३२३ चउरंगुलप्पमाणा ...... बृहत्सं० ३०२] ७४६ | चिंतामणी अउव्वो.... [पञ्चव० १५९८] १६२ चउरंगुलो मणी पुण ......[बृहत्सं० ३०२] ६८४ | चिंधाई कलंबझए सुलस......[बृहत्सं० ६१] ७६२ चउरो ४ तिन्नि य ३...[ ] ५९ चित्तभ्रान्तिर्जायते .....[ ]
६१७ चउवीस सहस्साई.... बृहत्क्षेत्र० ५२] ११७ चित्तरत्नमसङ्क्लिष्टमान्तरं ..... चउवीसई मुहुत्ता १....बृहत्सं० २८१] ६४३] [हारि० अष्टक० २४/७]
६१७ चउसटिं पिट्ठिकरंडयाण.....
चिय च्चेय एवार्थ [ ] [बृहत्क्षेत्र० २१७४]
३८५ | चिविचिविसद्दो पुन्नो......[ ] ७३३ चउसट्ठी पिट्ठिकरंडयाण...[बृहत्क्षेत्र० २५४]१३० | चुलसीइ सयसहस्सा .....[ ] चक्कं छत्तं दंडो तिन्नि......[बृहत्सं० ३०१] ६८४ | चुलसीति सहस्साइं .....द्वीपसागर० २७] ३९३ चत्तारंतरदीवा हय-गय-....[बृहत्क्षेत्र०२।५८] ३८५ | चुल्लहिमवंत पुबावरेण....बृहत्क्षेत्र०२५५] ३८५ चत्तारि जोयणसए ......[द्वीपसागर० १६७] ८३१ | चोइस तस सेसया मिच्छा [जीवसमा०२६] ५० चत्तारि जोयणसए ....[बृहत्क्षेत्र०२।२४] ३८८ | चोद्दस य सहस्साई.... [बृहत्क्षेत्र० ४९] ११४ चत्तारि जोयणसए... [द्वीपसागर० ७५] २८२ चोद्दस य सहस्साई....[बृहत्क्षेत्र० ५०] ११४ चत्तारि जोयणसए....(बृहत्क्षेत्र० १३१] ११८| चोद्दसपुब्बी जिणकप्पिएसु...... चत्तारि जोयणसया चउणउया.....
[आव० नि० १५८७]
८५७ [बृहत्क्षेत्र० ३४७]
३८२ | चोइसवासस्स तहा .....[पञ्चव० ५८६] चत्तारि य चउवीसे...द्वीपसागर० ४] २८१ | चोल्लगदिळंतेणं दुलहं.... [ ] २६३ चत्तारि लक्ख छत्तीस...[बृहत्क्षेत्र० ५।४७] १४३ | छ ६ पंच ५.... ...[ ] ___५९ चत्तारि विचित्ताई....[आचा० नि० २७१] १६१ | छक्कायविराहणया आवडणं..... चत्तारि होति तेल्ला.....पञ्चव० ३७३] ३४७] [बृहत्कल्प० २७३६]
५३३ चन्द्रवक्त्रा सरोजाक्षी .....[ ]
३५६ | छक्कायाण विराहण.... बृहत्कल्प० ६३३१] ६३८ चमर १ बलि २... [बृहत्सं० ५] १७० छच्चेव १ अद्धपंचम... [बृहत्सं० २४४] २९८ चमरे णं भंते !.. [भगवती०३।१।३,१५] २९१ | छट्ठस्स य आहारो...[बृहत्क्षेत्र० २५६] १३० चम्मट्ठि-दंत-नह......[ओघनि० ३६८] ५८० | छट्ठी उ हायणी......[तन्दुल० प्रकी० ५०] ८९३ चरमे नाणावरणं पंचविहं.....[ ] ३०० | छण्णं तह आलोए जह......[ ] ८३६ चरितट्ठ देसि दुविहा...[बृहत्कल्प० ५४४०] ६५२ | छत्तीसुच्चा पणुवीसवित्थडा...... चरियं च कप्पियं .....[दशवै० नि० ५३] ४३५] [बृहत्क्षेत्र० ३२२]
७५३ चवला मइलणशीला.....[ ]
३६७| छप्पुरिमा तिरियकए..... पञ्चव० २४२] ६२०
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588