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स्थानाङ्गसूत्रटीकाया: ग्रन्थान्तरेभ्यः साक्षितयोद्धृतानां पाठानामकारादिक्रमेण सूचिः
३८५ चाला
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उद्धृतः पाठ पृष्ठाङ्कः। उद्धृतः पाठः
पृष्ठाङ्कः चउत्थी य बला नाम....[तन्दुल०प्रकी० ४८] ८९३ | चारिय चोरा १ ...(निशीथभा० १३०] ३५८ चउनाण ४ ऽन्नाणतियं ३.....[ ] ६४८ | चालिज्जइ बीहेइ व धीरो ..... चउरंगुलदीहो वा वट्टागिति .....[ ] ३९७ ध्यानश० ९१]
३२३ चउरंगुलप्पमाणा ...... बृहत्सं० ३०२] ७४६ | चिंतामणी अउव्वो.... [पञ्चव० १५९८] १६२ चउरंगुलो मणी पुण ......[बृहत्सं० ३०२] ६८४ | चिंधाई कलंबझए सुलस......[बृहत्सं० ६१] ७६२ चउरो ४ तिन्नि य ३...[ ] ५९ चित्तभ्रान्तिर्जायते .....[ ]
६१७ चउवीस सहस्साई.... बृहत्क्षेत्र० ५२] ११७ चित्तरत्नमसङ्क्लिष्टमान्तरं ..... चउवीसई मुहुत्ता १....बृहत्सं० २८१] ६४३] [हारि० अष्टक० २४/७]
६१७ चउसटिं पिट्ठिकरंडयाण.....
चिय च्चेय एवार्थ [ ] [बृहत्क्षेत्र० २१७४]
३८५ | चिविचिविसद्दो पुन्नो......[ ] ७३३ चउसट्ठी पिट्ठिकरंडयाण...[बृहत्क्षेत्र० २५४]१३० | चुलसीइ सयसहस्सा .....[ ] चक्कं छत्तं दंडो तिन्नि......[बृहत्सं० ३०१] ६८४ | चुलसीति सहस्साइं .....द्वीपसागर० २७] ३९३ चत्तारंतरदीवा हय-गय-....[बृहत्क्षेत्र०२।५८] ३८५ | चुल्लहिमवंत पुबावरेण....बृहत्क्षेत्र०२५५] ३८५ चत्तारि जोयणसए ......[द्वीपसागर० १६७] ८३१ | चोइस तस सेसया मिच्छा [जीवसमा०२६] ५० चत्तारि जोयणसए ....[बृहत्क्षेत्र०२।२४] ३८८ | चोद्दस य सहस्साई.... [बृहत्क्षेत्र० ४९] ११४ चत्तारि जोयणसए... [द्वीपसागर० ७५] २८२ चोद्दस य सहस्साई....[बृहत्क्षेत्र० ५०] ११४ चत्तारि जोयणसए....(बृहत्क्षेत्र० १३१] ११८| चोद्दसपुब्बी जिणकप्पिएसु...... चत्तारि जोयणसया चउणउया.....
[आव० नि० १५८७]
८५७ [बृहत्क्षेत्र० ३४७]
३८२ | चोइसवासस्स तहा .....[पञ्चव० ५८६] चत्तारि य चउवीसे...द्वीपसागर० ४] २८१ | चोल्लगदिळंतेणं दुलहं.... [ ] २६३ चत्तारि लक्ख छत्तीस...[बृहत्क्षेत्र० ५।४७] १४३ | छ ६ पंच ५.... ...[ ] ___५९ चत्तारि विचित्ताई....[आचा० नि० २७१] १६१ | छक्कायविराहणया आवडणं..... चत्तारि होति तेल्ला.....पञ्चव० ३७३] ३४७] [बृहत्कल्प० २७३६]
५३३ चन्द्रवक्त्रा सरोजाक्षी .....[ ]
३५६ | छक्कायाण विराहण.... बृहत्कल्प० ६३३१] ६३८ चमर १ बलि २... [बृहत्सं० ५] १७० छच्चेव १ अद्धपंचम... [बृहत्सं० २४४] २९८ चमरे णं भंते !.. [भगवती०३।१।३,१५] २९१ | छट्ठस्स य आहारो...[बृहत्क्षेत्र० २५६] १३० चम्मट्ठि-दंत-नह......[ओघनि० ३६८] ५८० | छट्ठी उ हायणी......[तन्दुल० प्रकी० ५०] ८९३ चरमे नाणावरणं पंचविहं.....[ ] ३०० | छण्णं तह आलोए जह......[ ] ८३६ चरितट्ठ देसि दुविहा...[बृहत्कल्प० ५४४०] ६५२ | छत्तीसुच्चा पणुवीसवित्थडा...... चरियं च कप्पियं .....[दशवै० नि० ५३] ४३५] [बृहत्क्षेत्र० ३२२]
७५३ चवला मइलणशीला.....[ ]
३६७| छप्पुरिमा तिरियकए..... पञ्चव० २४२] ६२०
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