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________________ पञ्चमं परिशिष्टम् । १९७ mr उद्धृतः पाठः पृष्ठाङ्कः । उद्धृतः पाठः पृष्ठाङ्कः छविहनामे भावे..... [विशेषाव० ९४५] ७| जंबूओ पन्नासं दिसि......[बृहत्क्षेत्र० २९३] ७४८ छब्बीसं कोडीओ आयपवायम्मि.....[ ] ३३७ जंबूदीवो १ धायइ..... बृहत्सं० ८२] २८१ छब्बीसं कोडीओ पयाण ..... [ ] ३३७ | जइ अब्भत्थेज्ज परं......[आव० नि० ६६८] ८५८ छिक्कप्परोइया ....[विशेषाव० १७५४] ४८ | जइ तवसा वोदाणं .....[ ] छेलिअ मुहवाइत्ते.... बृहत्कल्प० ६३२४] ६३८ | जइ वि य निग्गयभावो..... जं करणेणोकड्ढिय उदए.....[कर्मप्र०४।१] ३७५] [व्यवहारभा० २६९५] जं किर बउलाईणं दीसइ....... जइ वि य पिवीलिगाइ..... विशेषाव० ३०००] ५७३ | बृहत्कल्प० २८६४] जं कुणइ भावसल्लं ......[ओघनि० ८०४] ७१८ जइ वि हु फासुगदव्वं ..... जं च मणोचिंतिय-....[विशेषाव० ११३५] ७३ | बृहत्कल्प० २८६३] जं जं सन्नं भासइ...... [विशेषाव० २२३६] ६७० | जइधम्मम्मऽसमत्थे जुज्जइ .....[ ] ५०१ जं जत्थ नभोदेसे अत्थुव्वइ...... जग्गण अप्पडिबज्झण जइ.....[ ] ५५० विशेषाव० २३२१] ७०५ | जच्चाईहि अवन्नं... [बृहत्कल्प० १३०५] २८६ जं जस्स उ पच्छित्तं .....व्यव० भा० १२] ५४७ | जत्तो पुण सलिलाओ.....[बृहत्क्षेत्र० ३७२] ३८१ जं जहमोल्लं रयणं तं जाणइ..... | जत्तो वट्टविमाणं...[विमान० २५०] २४६ व्यव० भा० ४०४३] ५४६ जत्तो वासहरगिरी तत्तो...[बृहत्क्षेत्र० ३७१] ३८१ जं णाण-दसण-...[विशेषाव० १०३३] ५३ | जत्थ उ जं....आचा०नि० ४, जं तं निवाघायं.... निशीथभा० ८२३] ५७९/ अनुयोगसू० ८] ११ जं दलियमन्नपगई णिज्जइ....[कर्मप्र०२।६०] ३७७ | जत्थ मतिनाणं तत्थ.....[नन्दीसू० १५] ५९५ जं नारगादिभावो.....[विशेषाव० १९७८] २६ जन्मजरामरणभयैरभिद्रुते .....प्रशम० १५२] ३२१ जं पुण सुनिप्पकंपं ....[ध्यानश० ७९] ३२२ | जन्मान्तरफलं पुण्यं .....[ ] जं बहु १ बहुविह..... [विशेषाव० ३०७] ६२२ | जमणंतपज्जयमयं...[विशेषाव० २४१६] २० जं वट्टइ उवगारे..... [ओघनि० ७४१] २५१ | जम्बू १ लवणे ....(बृहत्सं० ९२] जं वुच्चइ त्ति..... [पञ्चव० १२७९] १३ | जम्म-जरा-जीवण-...विशेषाव० १७५३] ४८ जं संके तं समावज्जे [ ] ८३५ | जम्म-जरा-मरणजलो....[पञ्चव० १५९५] १६२ जं सामन्नग्गहणं भावाणं.... [ १५८ | जम्मण विणीय उज्झा....[आव०नि० ३९७] ८२५ जं सामन्नग्गहणं.... [ ] ३८ | जम्हा विणयइ कम्म.....आव०नि०१२३१] ६२४ जं सामनविसेसे परोप्परं...... जरए तह चेव पज्जरए [विमान० २९] ६२७ विशेषाव० २१९४] ६६८ | जल-थल-खहयरमंसं चम्म.....[पञ्चव०३७५] ३४७ जं सामि-काल-.....[विशेषाव० ८५] ५९६ जल-रेणु-पुढवि-....[विशेषाव० २९९०] ३७२ जंगमजायं जंगिय.....[बृहत्कल्प० ३६६१] ५७८ | जलदोण १ मद्धभारं २......[ ] ७९५ ५८१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001029
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaydevsuri, Jambuvijay
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year2004
Total Pages588
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Dictionary, & agam_sthanang
File Size11 MB
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