Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Part 03
Author(s): Abhaydevsuri, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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पञ्चमं परिशिष्टम् ।
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उद्धृतः पाठः पृष्ठाकः । उद्धृतः पाठः
पृष्ठाकः खरउ त्ति कहं जाणसि ?.....
गीयावासो रती....विशेषाव० ३४६०] १४ बृहत्कल्प० ६१५७]
| गुणपच्चक्खत्तणओ....[विशेषाव० १५५८] १८ खामिय वोसमियाइं ....बृहत्कल्प० ६११८, | गुणवंत जतो वणिया पूइंतऽन्ने..... निशीथभा० १८१८]
६३४ व्यवहारभा० २५४४] खिप्पमचिरेण ३ तं..... (विशेषाव० ३०९] ६२२ | गुरुउग्गहादठाणं .....पञ्चव० २४७] खीणम्मि उदिन्नम्मी.... [विशेषाव० ५३०] ७९ गुरुणाऽभिहिओ जइ......[विशेषाव० २३३७] ७०६ खीणे दंसणमोहे तिविहम्मि..... [ ] ८० | गुरुदाणसेसभोयणसेवणयाए......[ ] ६६३ खीरं ५ दहि ४ णवणीयं ४.....
| गुरुपरिवारो गच्छो .....[पञ्चवस्तु० ६९६] ५८० __ [पञ्चव० ३७१]
३४६ | गुरुयं लहुयं उभयं ......[विशेषाव० ६५९] ८१९ खुड्डियं णं..... [व्यवहार. ९२४२]
| गुब्विणी बालवच्छा...(निशीथ० ३५०८] २७९ खेत्तम्मि अवक्कमणं .....दशवै० नि० ५६] ४३६ | गेविज्जेसुं दोन्नी एक्का .....(बृहत्सं० १४४] ४९२ खेत्ते जाई कुल कम्म .....[ ] ३५१ गोजूहस्स पडागा.... [बृहत्कल्प० ५२०२] २८० खेलं सिंघाणं वा .....[ ]
६४९ गोदुह उक्कुड पलियंकमेस .....[ ] ५१५ गंगा सिंधू १.... बृहक्षेत्र० १७१] १२८ | गोमहिसुट्टिपसूणं एलगखीराणि...... गंडी कच्छवि मुट्ठी ...... ] ३९६] [पञ्चव० ३७२]
३४७ गच्छम्मि उ निम्माया...बृहत्कल्प० ६४८३] ६४० | गोयम १ समुद्द २ सागर...[अन्तकृद्दशा० ] ८७६ गच्छम्मि य निम्माया...[बृहत्कल्प० ६४८३] २८५ गोलियसोडियभंडिय-.....[ ]
७१९ गच्छा विणिक्खमित्ता...[पञ्चाशक० १८१७] २५३ घट्टग-डगलग-लेवो....[ओघनि० ३४२, गच्छे च्चिय.... [पञ्चाशक० १८।५] २५३ पिण्डनि० १५] गच्छो वाञ्छाभ्यस्तो ......[ ] ८५५ घणउदहिपइट्ठाणा...[बृहत्सं० १२६] गणहर १ थेराइकयं ...[विशेषाव० ५५०] ८४ घणदंत लट्ठदंता निगूढदंता ..... गणिया १ सोमिल २ .....[ ] ४८३ बृहत्क्षेत्र० २।६२]
३८५ गद्धादिभक्खणं.... उत्तरा० नि० २२३] | चंदिमसूरुवरागे निग्घाए....... गन्धर्वनगरं स्निग्धं ......[ ] .७३२ [आव० नि० १३५१]
८२० गमणागमण विहारे सुत्ते .....
चंपा महुरा वाणारसी य...... _ [आव० नि० १५४७] |
| निशीथभा० २५९०]
८२६ गरहा वि तहाजाती-...[आव०नि० १०६३] ९४ | चउगइ ४ चउक्कसाया ४ .....[ ] ६४८ गर्भ जडा भूतहृतं वदन्ती [ ] ४९४ चउगुणिय भरहवासो,...बृहत्क्षेत्र०३।३०] १३९ गां दृष्ट्वाऽयमरण्येऽन्यं .....[ ] ४४७ | चउगुणिय भरहवासो.... [बृहत्क्षेत्र० ३।३०] १४२ गाउयमुच्चा पलिओवमाउणो...
चउजोयणवित्थिन्ना अट्ठेव य...... [बृहत्क्षेत्र० २५३) १३० बृहत्क्षेत्र० १७]
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