Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Part 03
Author(s): Abhaydevsuri, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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चतुर्थं परिशिष्टम् ।
श्रीस्थानाङ्गसूत्रटीकायाः तृतीयविभागे ग्रन्थान्तरेभ्यः साक्षितयोद्धृतानां पाठानां पृष्ठक्रमेण सूचिः ।
पृष्ठाङ्कः
गाथा
नाण दंसणट्ठा चरणट्ठा......
[निशीथ० ५४५८]
सुत्तस्स व अत्थस्स व ...... [निशीथ० ५४५९ ] चरितट्ठ देसि दुविहा......
६५२
[विशेषाव० २१९५]
[बृहत्कल्प ० ५४४०, निशीथ० ५५३९ ] आयरियाईण भया..... [ निशीथ० ५४५५ ] एगो इत्थीगम्मो ..... [ निशीथ० ५४५६ ] जहिं नत्थि सारणा... [बृहत्कल्प० ४४६४] सीसे जइ आमंते....[बृहत्कल्प० १४५७] तरुणा बाहिरभावं......[बृहत्कल्प० १४५८ ] ६६० कुंभो भावाणन्नो जइ.......
६५३ |संगहणं संगिण्हइ संगिज्झते ६५३ [विशेषाव० २२०३ ] ६५९ सदिति भणियम्मि जम्हा....... [विशेषाव० २२०७]
६६०
६६०
[विशेषाव० २२०८ ]
६६२
ववहरणं ववहरए स......
[विशेषाव० २२१२]
६६२
उवलंभव्ववहाराभावाओ
६६२
]
६६३
संस १ मसंसट्टा २......[ 1 पडमासु सत्तगा सत्त.. एवमेक्केक्कियं भिक्खं..[ अहवा एक्केक्कियं दत्तिं......[ उचिए काले विहिणा......[ गुरुदासेसभोयणसेवणयाए ......[ भोयणकाले अमुगं......[ पढमा असीइसहस्सा. [बृहत्सं० २४१] सव्वे वीससहस्सा...... [ बृहत्सं० २४२ ] कोच्छं सिवभूई......[कल्पसू०] एक्वेक्को य... [आव० नि० ५४२,
६६३ | बहुतरओ त्तिय तं
]
विशेषाव० २२६४ ]
1
जावइया वयणपहा
[सम्मति० ३।४७ ] गाई माणाई. . [विशेषाव० २१८६]
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पृष्ठाङ्कः | गाथा
६५२
६५२
६६७
लोगत्थनिबोहा वा...... [विशेषाव० २१८७]
जं सामन्नविसेसे परोप्परं......
६६८
६६८
[विशेषाव० २१९४]
दोहिं वि नएहिं नीयं
[विशेषाव० २२२१]
६६३
६६४ |उज्जुं रिडं सुयं नाणमुज्जु
६६४
६६७
[विशेषाव० २२१४]
[विशेषाव० २२२२] तम्हा निजगं संपयकालीयं...
[विशेषाव० २२२६]
सवणं सवइ स तेणं... [विशेषाव० २२२७]
तं चिरिउत्तमयं
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[विशेषाव० २२२८]
जं जं सन्नं भासइ....... [विशेषाव० २२३६]
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