Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Part 03
Author(s): Abhaydevsuri, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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चतुर्थं परिशिष्टम् ।
१८१
गाथा पृष्ठाङ्कः गाथा
पृष्ठाङ्कः एतानि नक्षत्राण्युभययोगीनि...[लोकश्रीटीका] ७६२ पढमं चिय गिहि-संजयमीसं..... एतेषामुत्तरगा ग्रहा: सुभिक्षाय......[ ] ७६२ | [पञ्चा० १३।९]
८०४ कर्णाटी सुरतोपचारकुशला......[ ] ७६६ | सट्टा मूलद्दहणे अज्झोयर...... अद्धमसणस्स सव्वंजणस्स...[पिण्डनि०६५०] ७६६[पञ्चा० १३।१५]
८०४ साजीणे भुज्यते यत्तु......[ ] ७६९ कम्मावयवसमेयं संभाविज्जइ...... आदावभिलाष: १ स्याच्चिन्ता......
[पञ्चा० १३।९]
८०४ [रुद्रटकाव्यालं० १४।४।]
७६९ | दव्वाइएहिं किणणं ......[पञ्चा० १३।११] ८०४ उन्मादस्तदनु ७ ततो व्याधि.
पामिच्चं साहूणं अट्ठा......[पञ्चा० १३।१२] ८०४ [रुद्रटकाव्यालं० १४।५।]
७६९ |अच्छेज्जं चाच्छिंदिय जं....[पञ्चा० १३।१४] ८०४ द्रा कुत्सायां गतौ [पा० धा० १०५४] ७६९ / अणिसर्ट सामन्नं......[पञ्चा० १३।१५] ८०४ अटुंतकडा रामा एगो......
सग्गामपरग्गामा.....[पञ्चा० १३।१३] ८०४ [समवायाङ्गे सू० १५८ गा० १४०] ७७२ |सपडिक्कमणो धम्मो......[आव० नि० १२५८, नेसप्पे १ पंडुए २ पिंगले......[ ] ७७३ | बृहत्क० ६४२५] ।
८०५ सेसा उ दंडनीई [आव०नि० १६९] ७७५ |जह जलमवगाहंतो ......[विशेषाव० २६००] ८०५ एक्केण चेव तवओ पूरिज्जइ......
परिसुद्धजुन्नकुच्छिय-......[विशेषाव० २५९९] ८०५ [पञ्चवस्तु० ३७७]
७७६ | अह कुणसि थुल्लवत्थाइएसु...... अन्नं पानं च वस्त्रं ......[ ] ७७७ | [विशेषाव० २५६४] अप्रतिषिद्धमनुमतम् [ ]
७७९ | अपरिग्गहा वि परसतिएस...... कामं सयं न कुव्वइ......[पिण्डनि० १११] ७७९ । विशेषाव० २५६६] सा नवहा दुह कीरइ ......
न परोवएसवसया न य..... [दशवै० नि० २४१]
७७९] [विशेषाव० २५८८] सपरिग्गहेयराण सोहम्मीसाण.....
|तह सेसेहि य सव्वं ...... [बृहत्सं० १७]
७८० [विशेषाव० २५८९] भवसिद्धिओ उ भयवं ......[ ] ७८९ तणगहणानलसेवानिवारणा.. अस्थिष्वर्थाः सुखं मांसे [ ] ७९५ | [ओघनि० ७०६, पञ्चव० ८१३]
८०६ माणुम्माणपमाणादि......[ ] ७९५ |तित्थंकरपडिकुट्ठो अन्नायं...... जलदोण १ मद्धभारं २......[ ] ७९५] [पञ्चा० १७/१८]
८०६ सव्वो पमत्तजोगो समणस्स......[ ] ८०३ | अस्सिणि भरणी समणो......[ ] सच्चित्तं जमचित्तं ......[पञ्चा० १३।७] ८०३ | भरणी स्वात्याग्नेयं ३......[ ] ८०७ उद्दिसिय साहुमाई ओमच्चय......
वृषभाख्या ४ पैत्रादि: ३......[ ] ८०७ [पञ्चा० १३।८]
८०३ अजवीथी ७ हस्तादिः ४......[ ] ८०७
८०६
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