Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Part 03
Author(s): Abhaydevsuri, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 520
________________ चतुर्थं परिशिष्टम् । पृष्ठाङ्कः गाथा ७०० नहि कम्मं जीवाओ [विशेषाव० २५१६] ७०० ७०९ 1 ७११ ७११ ७११ ७११ ७११ ७११ ७०० | तत्थ खलु इमाओ... ...... [ चन्द्रप्र० १०।२१] ७०० वयं पुण एवं... [ चन्द्रप्र० १० | २१] ७०१ | दहनाद्यमृक्षसप्तकमैन्द्र्यां तु ...... [ ७०१ भवति गमने नराणाम्...... [ ७०२ |पूर्वायामौदीच्यं प्रातीच्यं...... [ ७०३ | येऽतीत्य यान्ति मूढाः ...... [ ७०३ तवेण सत्तेण सुत्तेण.... [ बृहत्कल्प० १३२८] ७१३ | भीउव्विग्गनिलुको .[ उपदेशमाला० ४७८ ] ७१८ ७०५ तवतेणे वइतेणे रूवतेणे.... [ दशवै० ५/२/४६] ७१८ जं जत्थ नभोदेसे अत्थुव्वइ. तत्तो वि से चइत्ताणं .... [ दशवै० ५।२।४८ ] ७१८ [विशेषाव० २३२१] ७०५ लज्जाए गारवेण य ....[ उत्तरा० नि० २१७] ७१८ एगे भंते ! जीवप्पएसे ......[ ७०५ नवि तं सत्थं व विसं.... [ ओघनि० ८०३] ७१८ एगादओ पएसा न ......[विशेषाव० २३३६ ] ७०६ जं कुणइ भावसल्लं .. [ ओघनि० ८०४ ] गुरुणाऽभिहिओ जइ .....[ .. [विशेषाव० २३३७] ७०६ उद्धरियसव्वसल्लो[ ओघनि० ८०७ ] किं साहू | गोलियसोंडियभंडिय - [ ] [विशेषाव० २३५९] ७०६ निच्चं संकियभीओ.... [ उपदेशंमाला० २२६] ७२० थेरवयणं जइ परे मद्दलसाराई तूराई [ 1 ते कहियं वि देवस्स व किं वयणं ] ७१८ ७१९ ७१९ .... ७२२ लहुया ल्हाईजणणं ... [व्यवहारभा० १।३१७] ७२२ नवजोयणवित्थिन्ना......[ ७०७ आयरवमायारं पंचविह.. ७०७ ववहारव ववहारं ] ७२५ ७२६ ७२७ ७२७ ७२७ ७२७ ७२७ ७०७ आलोइयम्मि सोहिं जो.. ७०७ जो अन्नस्स उ दोसे न...... [ निज्जवओ तह कुणई......[ ७०७ दुब्भिक्खदुब्बलाई इहलोए...... [ जाई - कुलसंपन्नो पायमकिच्चं ......[ ७०७ नाणेण उ संपन्नो [ ] ७०७ सुद्धो तह त्ति सम्मं ......[ ७०९ खंतो आयरिएहिं फरुसं ......[ ] ७२७ ७२७ ] ७२८ ७२८ गाथा सक्कार १ ब्भुट्ठाणे २......[ 1 इंतस्सऽणुगच्छणया ८......[ तित्थगर १ धम्म २ आयरिय..... [ कायव्वा पुण भत्ती [ ] [ सामाइयादिचरणस्स मणवइकाइयविणओ ......[ स्नु प्रश्रवणे [पा० धा० १०३८ ] पुव्यकम्म वेउव्वियसमुग्घाएणं......[कल्पसू० ] सक्ख चिय संथारो ण...... [विशेषाव० २३०८] .. [मूलाचारे ४४५] [विशेषाव० २३६२] पडुप्पन्नसमयनेरइया... [ एवं च कओ कम्माण. एगनयममिदं तं न हि सव्वहा विणासो... [विशेषाव० २३९३] अह सुताउति मई .. [ विशेषाव० २३६०] ७०६ . [ विशेषाव० २३६१] ७०६ Jain Education International 1 ...... [ 1 1 [विशेषाव० २३९४] तत्थ वि न सव्वनासो... [विशेषाव० २३९५] सोउं भइ सदो .. [विशेषाव० २५१५] For Private & Personal Use Only 1 1 1 1 ] 1 ] 1 १७९ पृष्ठाङ्कः www.jainelibrary.org

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