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१५६
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Sen, S N
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Singh_A.N.
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Jain, L.C.
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12. Shah, A.L. -
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'हिन्दू गणित शास्त्र का इतिहास' (हिन्दी संस्करण) अनु० डा० कृपाशंकर शुक्ल - उ० प्र० हिन्दी ग्रन्थ अकादमी, (लखनऊ, १९६७। "Cosmology Old & New' (Hindi Ed) Bhartiya Jnanpitha, New Delhi 1974.
‘तिलोयपण्णत्ति का गणित' अन्तर्गत जम्बुद्दीवपण्णत्तिरागते, जैन संस्कृति संरक्षक संघ, शोलापुर १९५० ।
"Set Theory in Jaina School of Mathematics
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'आगमों में निहित गणितीय सामग्री एवं उसका मूल्यांकन' 'तुलसी पूज्य' लाडनूं' पृ० ३५-७४, १९८०
Exact Sciences from Jaina Sciences,
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Jain Education International
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Introduction of Gamita Tilak' Gaekwad Oriental Series, Baroda 1937.
'जैन साहित्य का बृहद् इतिहास - भाग ५ पा० वि० शोध संस्थान, वाराणसी १९६९ ।
The History of Ancient Indian Mathematics National World Press Calcutta 1967.
अंगसुत्ताणि - भाग १, जैन विश्व भारती, लाडनूं १९७५
ठाणं (स्थानांग सुत्त) सटीक, जैन विश्व भारती, लाडनूं १९८० तिलोयपण्णत्ति-सटीक जैन संस्कृति संरक्षक संघ, शोलापुर १९४४ 'गणितसार संग्रह ( हिन्दी संस्करण) जैन संस्कृति संरक्षक संघ, शोलापुर १९६२ "
[पृ०८५५ पं०१४] संकलन- व्यवकलनादयोऽनेके भेदा: गणिततिलकादिषु पाटीगणितादिग्रन्थेषु विस्तरेण वर्णिताः सन्ति ॥
[पृ०८५५ पं०१९] “वर्गः समचतुरश्रः फलं च सदृशद्वयस्य संवर्गः । वर्गः करणी कृतिः वर्गणा यावकरणमिति पर्यायाः " - इति भास्करविरचितटीकासहिते आर्यभटीये गणितपादे ॥
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