Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Part 03
Author(s): Abhaydevsuri, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 497
________________ १५६ 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8. 9. Bose, D.M. & Sen, S N Dutt, B.B. 14. Dutt, B. B. & - Singh_A.N. Jain G.R. - 15. 16. 17. Jain, L.C. Jain L.C. - Jain L. C. - Jain, L. C. - 10. Kapadia, H.R. 11. Upadhyaya, B.L. - 'प्राचीन भारतीय गणित' विज्ञान भारती, दिल्ली १९७१ 12. Shah, A.L. - 13. Srinivas, - C.P. Iengar - तृतीयं परिशिष्टम् - टिप्पनानि "A Concise History of Sciencess in India' I.N.S.A. New Delhi. 1971 "The Jaina School of Mathematics' B.C.M.S. (Calcatta). 21 pp. 115-143,1929 'हिन्दू गणित शास्त्र का इतिहास' (हिन्दी संस्करण) अनु० डा० कृपाशंकर शुक्ल - उ० प्र० हिन्दी ग्रन्थ अकादमी, (लखनऊ, १९६७। "Cosmology Old & New' (Hindi Ed) Bhartiya Jnanpitha, New Delhi 1974. ‘तिलोयपण्णत्ति का गणित' अन्तर्गत जम्बुद्दीवपण्णत्तिरागते, जैन संस्कृति संरक्षक संघ, शोलापुर १९५० । "Set Theory in Jaina School of Mathematics I.J.H.S. (Calcutta) 8-1, pp. 1-27, 1973 'आगमों में निहित गणितीय सामग्री एवं उसका मूल्यांकन' 'तुलसी पूज्य' लाडनूं' पृ० ३५-७४, १९८० Exact Sciences from Jaina Sciences, - - Jain Education International Vol.I Rajasthan Prakrita Bharati, Jaipur 1983. Introduction of Gamita Tilak' Gaekwad Oriental Series, Baroda 1937. 'जैन साहित्य का बृहद् इतिहास - भाग ५ पा० वि० शोध संस्थान, वाराणसी १९६९ । The History of Ancient Indian Mathematics National World Press Calcutta 1967. अंगसुत्ताणि - भाग १, जैन विश्व भारती, लाडनूं १९७५ ठाणं (स्थानांग सुत्त) सटीक, जैन विश्व भारती, लाडनूं १९८० तिलोयपण्णत्ति-सटीक जैन संस्कृति संरक्षक संघ, शोलापुर १९४४ 'गणितसार संग्रह ( हिन्दी संस्करण) जैन संस्कृति संरक्षक संघ, शोलापुर १९६२ " [पृ०८५५ पं०१४] संकलन- व्यवकलनादयोऽनेके भेदा: गणिततिलकादिषु पाटीगणितादिग्रन्थेषु विस्तरेण वर्णिताः सन्ति ॥ [पृ०८५५ पं०१९] “वर्गः समचतुरश्रः फलं च सदृशद्वयस्य संवर्गः । वर्गः करणी कृतिः वर्गणा यावकरणमिति पर्यायाः " - इति भास्करविरचितटीकासहिते आर्यभटीये गणितपादे ॥ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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