Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Part 03
Author(s): Abhaydevsuri, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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१६७
तृतीयं परिशिष्टम्- टिप्पनानि पडिनिक्खमइ । पडिनिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ । तए णं से सोमिले माहणे अन्नया कयाइ असाहुदंसणेण य, अपज्जुवासणयाए य, मिच्छत्तपज्जवेहिं परिवड्डमाणेहिं २ सम्मत्तपज्जवेहिं परिहायमाणेहिं मिच्छं विपडिवन्ने । तए णं तस्स सोमिलस्स माहणस्स अन्नया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि कुडुंबजागरियं जागरमाणस्स अयमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था। एवं खलु अहं वाणारसीए नयरीए सोमिले नामं माहणे अच्चंतमाहणकुलप्पसूए । तए णं मए वयाई चिण्णाई वेया य अहीया दारा आहूया, पुत्ता जणिया, इड्डीओ समाणीयाओ, पसुवंधा कया, जन्ना जे(ज)ट्ठा, दक्खिणा दिन्ना, अइही पूइया, अग्गी हूया, जूवा निक्खित्ता । तं सेयं खलु मम इयाणि कल्लं जाव जलंते, वाणारसीए नयरीए बहिया बहवे अंबारामा रोवावित्तए एवं माउलिंगि बिल्ला कविट्ठा चिंचा पुप्फारामा रोवावित्तए । एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता कल्लं जाव जलंते, वाणारसीए नयरीए बहिया अंबारामे य जाव पुप्फारामे य रोवावेइ । तए णं बहवे अंबारामा य जाव पुप्फारामा य, अणुपुव्वेणं सारक्खिजमाणा संगोविजमाणा संवड्डिजमाणा आरामा जाया किण्हा किण्होभासा जाव रम्मा महामेहनिउरंबभूया पत्तिया पुप्फिया फलिया हरियगरेरिज्जमाणा सिरीया अईव उवसोभेमाणा २ चिट्ठति ।
[४] तए णं तस्स सोमिलस्स माहणस्स अन्नया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकाल०कुडुंबजागरियं जागरमाणस्स अयमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था । एवं खलु अहं वाणारसीए नयरीए सोमिले नामं माहणे अच्चंतमाहणकुलप्पसूए तए णं मए वयाई चिण्णाई, जाव जूवा निक्खित्ता । तए णं मए वाणारसीए नयरीए बहिया बहवे अंबारामा, जाव पुप्फारामा य रोवाविया । तं सेयं खलु ममं इयाणिं कल्लं जाव जलंते, सुबहु लोहकडाह कडुच्छुयं तंबियं तावसभंडं घडावेत्ता विउलं असणपाणखाइमसाइमं मित्त-नाइ० आमंतेत्ता । तं मित्त-नाइ-नियग० विउलेणं असण जाव सम्माणेत्ता तस्सेव मित्त जाव जेट्टपुत्तं कुटुंबे ठावेत्ता। तं मित्त-नाइ जाव आपुच्छित्ता, सुबहुं लोहकडाह कडुच्छुयं तंबियं तावसभंडं गहाय जे इमे गंगाकूला वाणपत्था तावसा भवंति । तंजहा- होत्तिया पोत्तिया कोत्तिया नई सड्ढई थालई हुंबउट्ठा दंतुक्खलिया उंमज्जगा संमज्जगा संपक्खालगा दक्खिणकूला उत्तरकूला संखधमा कूलधमा मियलुद्धा हत्थितावसा उदंडा दिसापोक्खिणो अंबुवासिणो वायवासिणो बिलवासिणो जलवासिणो रुक्खमूलिया अंबुभक्खिणो वायुभक्खिणो सेवालभक्खिणो मूलाहारा कंदाहारा तयाहारा पत्ताहारा पुप्फाहारा फलाहारा बीयाहारा परिसडियकंदमूलतयपत्तपुप्फफलाहारा जलाभिसेयकढिणगायभूया
आयावणाहिं पंचग्गीतावेहिं इंगालसोल्लियं कंदुसोल्लियं पिव अप्पाणं करेमाणा विहरंति । ___ तत्थ णं जे ते दिसापोक्खिया तावसा तेसिं अंतिए दिसापोक्खियत्ताए पव्वइत्तए, पव्वइए वि य णं समाणे इमं एयारूवं अभिग्गहं अभिगिण्हित्ता कप्पइ मे जावज्जीवाए छटुंछट्टेणं अणिक्खित्तेणं, दिसाचक्कवालेणं तवोकम्मेणं उड्ढे बाहाओ पगिज्झिय २ सूराभिमुहस्स आयावणभूमिए आयावेमाणस्स विहरित्तए त्ति कट्ट । इमं एयारूवं अभिग्गहं जाव अभिगिण्हित्ता पढम छट्ठक्खमणं उवसंपज्जित्ताणं
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