Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Part 03
Author(s): Abhaydevsuri, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
View full book text
________________
द्वितीयं परिशिष्टम् ।
६८५
६२२
१६८
गाथार्धम् संकिते सहसक्कारे संखाणे निमित्ते कातिते संखे महानिहिम्मी संखो णदति गंधारं संठाणे सालिभद्दे त सएयगं चेव अद्धाए सक्कता पागता चेव सजं तु अग्गजिब्भाते सज्जं रवति मऊरो सजं रवति मुइंगो सज्जेण लभति वित्तिं सज्जे, रिसभे, गंधारे सत्तमी सन्निहाणत्थे सत्त सरा णाभीतो सत्त सरा ततो गामा सत्त स्सरा कतो सत्थमग्गी विसं लोणं सद्दा, रूवा, गंधा सद्दालपुत्ते महासतते समगं नक्खत्ता जोगं समताल-पडुक्खेवं सममद्धसमं चेव समाहारा सुप्पतिण्णा सम्मदिट्ठि परित्ता सयज्जले सताऊ य सरमंडलंमि गिज्जते सलक्खण-क्कारण सवणे णाणे य विन्नाणे सव्वा आभरणविही सव्वा य जुद्धनीति सव्वे य चक्कजोही
सूत्राङ्कः गाथार्धम् ७३२ ससि सगलपुण्णमासी ६७९ ससिसूरचक्कलक्खण ६७३ सहस्सुद्दाहे आमलते ५५३ साउणिता वगुरिता ७५५ | सागरचित्ते वइरे ७४८ सागरमणागारं ५५३ सामा गायति मधुरं ५५३ | सारणिता रोगिणिता ५५३ सारस्सतमाइच्चा ५५३ सारस्सयमादिच्चा ५५३ सालदुममज्झारे एरंडे ५५३ सालदुममज्झयारे जह ६०९ सावत्थी उसभपुरं ५५३ | सिद्ध महाहिमवंते ५५३ सिद्ध सइंदिय-काए ५५३ | सिद्ध सुकच्छे खंडग ७४३ सिद्धे कच्छे खंडग १६८ सिद्धे गंधिल खंडग ७५५ सिद्धे त गंधमातण ४६० सिद्धे निसहे हरिवस्स ५५३ सिद्धे नेलवंत विदेहे ५५३ | सिद्धे पम्हे खंडग ६४३ सिद्धे भरहे खंडग १७० | सिद्धे य मालवंते ७६७ सिद्धे य विज्जुणामे ५५३ सिद्धेश्वए खंडग ७४४ सिद्धे रुप्पी रम्मग १९५ सिद्धे सोमणसे ता ६७३ सिप्पसतं कम्माणि य ६७३ सिरिकता मरुदेवा ६७२ सीता त पुण्णणामे
सूत्राङ्कः गाथार्धम्
सूत्राङ्कः ४६० | सीतोदा य सयजले
६८९ ६७३ सीतोसिणा उ चेत्ते । ३७६ ७५५ सुकच्छे वेसमणे ता ६८९ ५५३ | सुद्दुत्तरमायामा सा छट्ठी ५५३ ६८९ सुत्तित्ता असुत्तित्ता य १६८ ७४८ | सुदंसणे अमोहे य ५५३ सुरादेवे चुल्लसतते ७५५ ७१२ सुवच्छा वच्छमित्ता ६४३ ६२५ सूरा संगहकत्तारो ५५३ ६८४ सेय सिवे उद्दायणे ३४९ | सो कालो बोधव्वो ११० ३४९ सोत्थिते त अमोहे ६४३ ५८७ | सोमा ईसाणीता ७२० ६४३ हंता य अहंता य ११२ हंदि णमो साहाते ६०९ ६८९ | हंसो णदति गंधारं ५५३ ६८९ हत्थिणउर कंपिल्लं मिहिला ७१८ ६८९ हत्थो चित्ता य तथा दस ७८१ ५९० हत्थो चित्ता य तथा ६९४ ६८९ हत्थो चित्ता साती । __ ९५ ६८९ हरिकंता हरिवासे ६८९ हरिता चुंचुणा चेव ४९७ ६८९ हरिवंसकुलुप्पत्ती ওওও ६८९ हवति पुण सत्तमी तं ६०९ ६८९ हास भते अक्खातित ७४१ ६८९ हिययमपावमकलुसं ३६० ६४३ | हिययमपावमकलुसं ३६० ५९० हेरण्णवते मणिकंचणे ६४३ ६७३ होज निरंतरणिचितं
११० ५५६ ६८९
६४३
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588