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॥२८९॥
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5 आसपास छे, अने नानुं आयुष्य क्षुल्लक (नाना) भव आश्रयी अंतर्मुहुर्त मात्र छे, अने वधारेमां वधारे त्रण पल्योपमर्नु छे तेमां पण
संयजीवित (साधुपगुं) अल्पकाळ छे, तथा अंतमूहुर्त थी लइने थोडं ओर्छ.एq करोड पूर्वनुं आयुष्य छे. जेमा साधुपणुं उदय आवे ट्र त ते अपेक्षाए ते पण थोडुं छे, एटले गमेतेटलुं मनुष्यन आयुष्य होय; तोपण ते एक अंतर्मुहूर्त छोडीने बाकीर्नु अपवर्तन (अकाळX 5 मोत) थाय छे. तेथी का छे के:
1 ॥२८९॥ "अद्धा जोरक्कोसे, वंधित्ता भोगभूमिएसु लहुं । सव्वप्पजीविय, वज्जइत्तु उव्वढिया दोण्हं ॥ १॥” 18
उत्कृष्ट योगमां बंधना अध्यवसाय स्थानमां आयुष्यनो जे बंधकाळ छे. ते उत्कृष्टो काळ बांधीने जे जीव देव गुरु विगेरे भोग भूमीमां युगलिक तरीके जन्मे छे. तेनुं जल्दीथी बधु आयुष्य छोडीने तिर्यंच अने मनुष्यन अपवर्तन थाय छे. अने ते अपर्याप्त अंतर्मुहूर्त्तनुं अंतर जाणवू, त्यारपछी अपवर्तन थाय छे, (जे आयुष्य त्रण पल्योपमनुं छे, ते पण कारण विशेषथी ओर्छ थवा संभव छे.)
सामान्यथी आयुष्य सोपक्रम जीवोने सोपक्रम छे, अने निरुपक्रमआयुष्यवालाने निरुपक्रम छे ते बतावे छे. ज्यारे जीवने पोतानुं आयुष्य त्रीजे भागे बाकी रहेछे. अथवा त्रीजानो त्रीजो (२) नवमो भाग बाकी रहे अथवा जघन्यथी एक बे अथवा उत्कृ
हथी सात आठ वर्षे अथवा अंतकाळे काळे अंतर्मुहर्त काळना प्रमाणथी जीव पोते पोताना आत्मप्रदेशोने नाडिकाना अंतरमा रहेला 5 आयुष्य कर्मवर्गणाना पुद्गळोने प्रयत्न विशेषथी रचना करे छे. ते वखते निरुपक्रम आयुष्यवालो थाय छे, अने बीजीवखते आ
युष्य बांधे तो उपक्रम आयुष्य थाय छे. उपक्रम ते उपक्रमणना कारणथी थाय छे. ते कारणो नीचे बताव्यां छे.
FASASARAI