________________
३०
१३ भूमिकाय (पृथ्वीकाय) सर्व जाती की मट्टी. मश्लन खड़ी, भूतड़ा (सरकड़ा) खारा कच्चा निमक वगैरा अभक्ष्य है. ___ क्योंकि उसमें असंख्य जीव है. मट्टी नमक. इसमें दोष का मुख्य कारण-प्रत्येक वनस्पतिकाय में जैसे एक शरीर में (पत्ते फल बीजमें) एक २ जीव है, वो हरेक जीव कबूतर मुताविक शरीर करे, तो इतने जीव इस लाख योजन गोळाकार (जंबूद्वीप में) रह नहीं सकते, इतनी बड़ी संख्यावाले होने पर भी छोटे शरीर वाले होते है. उसका नाश करके अल्प तृप्ति लेना, उसके बदले एसी चीजो को त्याग कर उन जीवो को अभयदान देना चाहिये. इन चीजों के बदले दुसरी बहुतसी अचेतन चीजें मिल सकती है. आंबला, ककोड़ी, अरीठा, वगेरे वस्तुए नहाने धोनेमें काममें लेना ठीक है.
गर्भवाली स्त्री को भूतड़ा खाने से गर्भ को व्याधि और नुक्सान होता है. ___पापड़ या साळीयां बनाने में संचीरा वापरने के बदले. साजीखार उपयोगी होता है.
चाक, चूना, गेरू, अचित्त होने से पेट में असंख्य जीवों की उत्पत्ति होती है. याने पांडूरोग, आमवात, पित्त, पथरी, आदि प्रमुख रोग होते है. और कितनेक जातकी मट्टी, गेरु वगेरे समुर्छिम जीवों की योनि रूप होती है. जिससे अभक्ष्य है. वास्ते उसका अवश्य त्याग करना चाहिये. और अनाज
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org