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करने को आता है, तब कोई का नहीं चलता है, जैसे के नाहर के चक्कर में अगर बकरी आगई तो फिर उसका निकलना मुश्किल होता है." मतलब, उसकी जान जाती है, ऐसे मोके पर पस्ताना पडता है, " अहा ! हा ! मैंने कुछ नहि किया " वास्ते इस चक्कर से बचने के लिये पूर्ण महेनत करनी चाहिये ।
जिनेन्द्र भगवंतोने फरमाया है की - "क्षण लाखेणी जाय." [क्षण मात्र समय गुमा देना मानो - लाख रुपये का नुक्सान हुवा ] तो उनको क्युं भूल जाते हो ? इस वाक्य को हमेशा याद करके जिनेश्वर भगवान की आज्ञा के मुताबिक द्विदल वगैरा अभक्ष्य वस्तुओं का त्याग करना चाहिये.
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ऐसे जगद्वन्द्य जिनेश्वर भगवान के वचनो का अखंड रूपसे इस मनुष्य जन्म को छोड़कर कोनसे जन्म में पालन करके अचल सुख को प्राप्त करेंगे ?
१८ बेंगनः = हरएक प्रकार के अभक्ष्य है:
सबब एकतो उसमें बीज बहुत रहते है. दुसरे इनकी टोपीमें सूक्ष्म त्रस जीव होते है. इनको खानेसे नींद का विकार बढता है, एवं पित्तरोग प्राप्त होता है. अखीर में इसका परीणाम बूरा आता है ।
बेंगन को सुकाकर खाना भी निषेद्ध है. वास्ते इनका शीघ्रता से त्याग करना चाहिये
कितनेक रोग के
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