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उपरोक्त बताये हुऐ जितने साधारण वनस्पति के लक्षण हैं, वो सब के सब ही में होना संभव नहीं । कोई में कम भी होते हैं, और कोई में अधिक भी ।
पोई (पद्म) की भाजी के पान तथा पिण्ड [ अॅन्डीपेण्डी] अनंतकाय सुने जाते हैं ।
अनंतकायके लिये कितनीक सूचनाएँ:
१ दूध के मावे तथा घी में कितनेक दगाखोर लोग रताळू, सक्कर कंद, बटाटे का मिश्रण करते है । इसका ख्याल रखना चाहिये ।
२ हरा अदरख तथा हलदी सूकेबाद (सुंठ और हलदी ) के खानेके उपयोग में आते है वो भक्ष्य है । इसके सिवाय अनन्तकायकी सूकी हुइ शाक, अचार आदि त्याज्य है । निध्वंस ( निर्दय जैसा मन ) परिणाम । २ निःशुक ( नफरत न होना, संकोच नहीं होना, वृतिकी चड्स, लोलुपता ) ३, परंपरा बढ़े । ४ देखनेवाळा अधर्मी बने, आदि हेतु होने से कंद जैसी कोईभी अनंतकायवस्तु, उसके भुजिये आदि प्रासुक होने पर भी शास्त्रमें इन्हें लेनेका मना किया है ।
३ काँदे, इगली आदि के भुजिये करते है, तथा दुकानदार ढोकले में अभक्ष्य - चीजोका मिश्रण करते हैं, वे बासी रखकर बेचने के लिये फिरसे गरम करलेते है | बाजारु
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